भोपाल एम्स में ड्रोन ट्रायल रन, Drone से जिलों में होगी दवाई की सप्लाई


 

भोपाल. मध्यप्रदेश के भोपाल एम्स में ड्रोन ट्रायल रन हुआ. इसी तरह कई ड्रोन के जरिए मध्य प्रदेश के अलग-अलग आदिवासी इलाकों में दवाइयां पहुंचाने और मेडिकल इमरजेंसी आने पर इस्तेमाल किए जाएंगे. केंद्र सरकार के पायलट प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश के आदिवासी इलाकों को सीधे एम्स भोपाल से कनेक्ट किया जाएगा. भोपाल का एम्स सेंट्रल इंडिया का पहला और एकमात्र मेडिकल इंस्टिट्यूट है, जहां यह प्रयोग किया गया.

 

ड्रोन के जरिए दवाइयां पहुंचने का सिलसिला सबसे पहले रायसेन जिले के गौहरगंज से शुरू हुआ. यदि यह पायलट प्रोजेक्ट पूरी तरह सफल रहा तो 1 हफ्ते में इस प्रकिया को भोपाल एम्स से 100 किमी के दायरे के अंदर आने वाले सभी मेडिकल संस्थानों में इस्तमाल किया जाएगा. खास बात यह है कि लोगों को इस ड्रोन मेडिकल सर्विस का फायदा बिल्कुल मुफ्त मिलेगा.

 

एम्स डायरेक्टर अजय सिंह कहा, आदिवासी लोग जिस आधुनिक सुविधाओं से दूर है उन्हें हम ड्रोन के माध्यम से जल्द और अच्छी सुविधा देने की कोशिश कर रहे हैं. इस सुविधा का लुफ्त उठाने के लिए किसी भी मरीज को 1 भी खर्च नहीं करने होंगे. एम्स भोपाल और भारत सरकार इसका पूरा खर्च उठाएगी.

 

केंद्र सरकार से मंजूरी के बाद एम्स प्रबंधन ने अपने स्तर पर तैयारियां पूरी कर ली हैं. यह सेवा हफ्ते में 5 दिन उपलब्ध रहेगी. रोजाना 5 ड्रोन के जरिए दवाइयां और सैंपल लाने ले जाने का काम किया जाएगा. शुरुआती चरण में इन ड्रोन का इस्तेमाल भोपाल से गोहरगंज इलाके में किया जाएगा. भोपाल से गौरगंज की दूरी तय करने में ड्रोन को आधे घंटे का समय लगेगा. 1 ड्रोन में 5 किलोग्राम तक का वजन रखा जा सकेगा.

 

क्यों हो रही ये पहल ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिकलसेल दूर करने के लिए प्रदेश व्यापी अभियान शुरू किया है. इसकी नीव 2023 में मध्य प्रदेश के शहडोल जिले से रखी गई. इस अभियान को राष्ट्रीय सिकलसेल एनीमिया उन्मूलन मिशन नाम दिया गया और इसका लक्ष्य 2047 तक देश से सिकलसेल एनीमिया को जड़ से खत्म करना होगा. इस मिशन को पूरा करने का जिम्मा केंद्र सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के पास है.

 

आदिवासी क्षेत्रों में होंगी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं

मिशन के तहत पहला फॉक्स आदिवासियों पर है. आदिवासियों के पास मेडिकल सुविधाएं न होने के कारण उनकी बीमारियां जड़ से खत्म नहीं हो पा रही हैं और यह समस्याएं दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. इस प्रयोग के जरिए आदिवासी इलाकों में त्वरित और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करने का लक्ष्य रखा गया है.


By - sagarttvnews

14-Feb-2024

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