सजा मिलने के बाद भी तीन दोषी नहीं गए जेल आखिर क्यों ? पीड़ित पक्ष बोला-डॉक्टरों की मिलीभगत।
टीकमगढ़ शहर के विजय तेवरैया के परिवार के साथ दिनांक 18.10.2012 को रात्रि 8 बजे में परिवार की महिलाओ और पुरूषो के साथ हुई मारपीट में घटना के 6 आरोपियों के खिलाफ टीकमगढ़ कोतवाली थाना में एफआईआर दर्ज कराई थी,जिस में मारपीट के आरोपियों में प्रदीप भदौरा, लुईस चौधरी, रितेश भदौरा, अखिलेश सतभैया, शहजाद खान, तनु सोजी शामिल हैं। उन्होंने 50 अन्य लोगों के साथ घर में घुसकर मेरे बेटे विपुल तेवरैया को लाठी, डंडों, लात घूसों से पीटा, जिससे उसके सिर पर गंभीर चोटें आईं, जिसमें जिला अस्पताल में उसके सिर पर 19 टांके लगाए गए। सामने के दाँत टूट गये। हाथ फ्रैक्चर हो गया. तथा मेरी मां गेंदाबाई पत्नी ज्योति के साथ भी मारपीट की तथा जान से मारने की धमकी दी। उन्होंने जमकर उत्पात मचाया और घर में रखे टीवी, फर्नीचर, चारपहिया वाहन आदि सामानों में तोड़फोड़ की और भाग गये। इस मामले में
कोर्ट में सुनवाई में 11 साल बाद दिनांक 08.12.2023 को न्यायाधीश हितेन्द्र सिसिचिया महोदय द्वारा अभियुक्तों को अपराधी घोषित कर दिया गया एस.डी.एस. की धारा 458 में 04-04 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 03-03 हजार रूपये का जुर्माना एवं भा.द.वि. धारा 325/149 के तहत 02-02 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 02-02 हजार रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। वहीं मामले के आरोपियों को जेल भेज दिया गया.
लेकिन केवल 03 आरोपियों को जेल भेजा गया और 03 अपराधी अपने पैसे, ताकत और राजनीतिक दम दिखाकर रूपेयो के दम फर्जी तरीके से जिला अस्पताल में भर्ती हैं। जिससे न्यायालय की अवमानना होती है। बताया जा रहा है कि डॉक्टरों की मिलीभगत है. ऐसा कैसे हो सकता है कि एक दिन पहले ही शादी में डांस कर रहा शख्स अचानक इतना बीमार हो गया कि उसे आईसीयू में भर्ती कराया गया। फरयदी पक्ष ने कहा की कोर्ट ने न्याय तो दे दिया है लेकिन अगर उन्हें जेल नहीं भेजा गया तो हमारी जान को खतरा बढ़ सकता है. मुझे बार बार धमकियां आ रही हैं.