सागर-आगनवाड़ी कार्यकर्ता भर्ती में मनमानी, फर्जी बीपीएल कार्ड से बढ़ाए जा रहे अंक
महिला बाल विकास विभाग के तहत आंगनवाड़ी कार्यकर्ता में जालसाजी कर भर्तियां की जा रही हैं। राहतगढ़ में एक ऐसा ही मामला सामने आया है इसमें पात्र महिला के अंक घटाकर अपात्र महिला का चयन किया गया है। इसके लिए चयनित महिला ने फर्जी बीपीएल कार्ड जमा किया है। अधिकारियों ने भी इस कार्ड पर 10 अंक बढ़ा कर नियुक्ति कर डाली। आईए देखते हैं पूरी खबर
रहस्यमयी फर्जी नियुक्ति का मामला राहतगढ़ के पचोहा गांव की आंगनवाड़ी का है। महिला बाल विकास विभाग ने अप्रैल 2023 में कई आंगनवाड़ी केंद्रों में नियुक्ति संबंधी भर्ती निकाली थी। यहां पर कीर्ति पति तरंग कुर्मी और शिवानी पति अमित मिश्रा सहित 18 महिलाओं ने आवेदन किए। पहली सूची में कीर्ति कुर्मी का नाम पहले नंबर पर और शिवानी मिश्रा का नाम दूसरे नंबर पर रहा। इसके बाद यह सूची विभाग के पटल से गायब कर दी गई। अनंतिम सूची में शिवानी के 10 अंक बढ़ाकर प्रथम स्थान पर कर दिया गया। परेशान कीर्ति ने इसकी शिकायत भी की लेकिन अधिकारी पहले से गड़बड़ी करने तैयार बैठे थे। लिहाजा कहीं सुनवाई नहीं हुई।
पूरी गड़बड़ी सुनियोजित तरीके से की गई। पटल से सूची गायब कर शिवानी से ही आपत्ति दर्ज कराई गई। नाम हटने पर कीर्ति ने भी आपत्ति ली। कीर्ति ने पाया कि शिवानी मिश्रा ने जो बीपीएल कार्ड लगाया वह पूरी तरह फर्जी है। पंचायत के कर्ताधताओं ने गलत तरीके से कार्ड जारी किया था। इसमें बीपीएल संख्या 79 दर्ज थी। जबकि इस नंबर पर गांव के बलराम पिता गुड्डा रैकवार का नाम पहले ही दर्ज है। परमिट में शिवानी मिश्रा का जीविका का साधन कृषि दर्शया गया है।वहीं परमिट में सदस्यों की संख्या 3 और परिवार आईडी में 2 सदस्य दर्ज हैं। महिला बाल विकास विभाग के जिम्मेदारों ने इसी फर्जी बीपीएल कार्ड को आधार बनाकर शिवानी को सूची में वरियता दे दी। मामला हाइलाइट होने के बाद परियोजना अधिकारी जांच कर कार्रवाई की बात कह रही हैं।
देखने में यह मामला मामूली गड़बड़ी का नजर आ रहा है लेकिन इसके पीछे फर्जी नियुक्तियों के रैकेट की आशंका दिख रही है। यह स्वाभाविक सी बात है कि अकेली महिला फर्जी दस्तावेज से नियुक्ति हासिल नहीं कर सकती। इसमें महिला बाल विकास के जिम्मेदारों की भूमिका अवश्य होगी। ग्राम पंचायत फर्जी बीपीएल कार्ड देती है। इसी पर नियुक्ति मिलती है। मामले में शिकायत भी होती है लेकिन कार्रवाई नहीं होती। मतलब साफ है कि फर्जी नियुक्ति की तैयारी पहले ही हो चुकी होती है। अब देखना यह है कि गड़बड़ी करने वाले चेहरे उजागर कर विभाग अपने माथे पर लगे फर्जी नियुक्ति के कलंक को कैसे धो पाता है।