मेहंदी हल्दी का शगुन घरातियों से लेकर बारातियों का खाना और शादी की सारे रस्में हुईं। बकायदा सात फेरे भी लिए गए। अब आप सोच रहे होंगे की दूल्हा दुल्हन की शादी हुई होगी। लेकिन ये मामला जरा अलग है। इसमें दूल्हा दुल्हन तो हैं लेकिन लड़की लड़की नहीं बल्कि बछड़ा और बछिया हैं जिनकी धूमधाम से ये अनोखी शादी हुई है। और इसके साक्षी सैंकड़ों लोग बने हैं। हम बात कर रहे हैं खरगोन जिले की, दरअसल प्रेमनगर में दो परिवार ऐसे हैं। जहां एक दंपति के यहां लड़का नहीं है। और दूसरी दंपति संतानहीन है। दोनों ने गाय के बछड़े और बछिया को बेटा और बेटी मानकर उनकी शादी रचाई। सारे रीति-रिवाज भी अपनाए। इस शादी में परिवारों ने करीब चार लाख रुपए खर्च किए। इसमें परिवार के अलावा रिश्तेदार और पूरा गांव शामिल हुआ। शादी भी बिलकुल वैसी हुई जैसी लोगों की होती है। जिसमें मंडप सजा, सारी रस्में हुई।
बताया गया की सनातन संस्कृति में गाय को माता का दर्जा दिया गया है। एक परिवार में कोई संतान नहीं है। बछिया लक्ष्मी को ही उन्होंने बेटी की तरह पाला। कन्यादान, गोदान को सबसे बड़ा दान माना जाता है इसीलिये लक्ष्मी की शादी गांव के ज्योति लिमये के बछड़े नारायण से तय की। वहीं ज्योति बाई भी ‘नारायण’ को बेटा मानती हैं। जहां धूमधाम से दोनों की शादी कराई। जिसमें 800 से ज्यादा लोग शामिल हुए। दोनों परिवारों ने एक हजार आमंत्रण पत्र बांटे थे। इस अनोखे विवाह की जमकर चर्चा हो रही है।
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