सागर-118 वे साल में कंधे वाली की 18 भुजाएं, इससे पहले 1998 में बनी थी 18 भुजाएं || SAGAR TV NEWS ||
चल माई, चल माई, चल माई काली माई, जब जब दशहरा आता है। बस यही एक आवाज ज़हन में आती है। क्योंकि जब कंधे वाली काली माई का चल समारोह निकलता है तो पूरा सागर माँ की एक झलक देखने को बेताव रहता है। ये काली हैं सागर के पुरव्याऊ पर विराजने वाली सार्वजनिक काली जी, जिन्हे कंधे वाली काली के नाम से जाना जाता है। इस बार माँ के बारे में सबसे ज्यादा ख़ास बात ये है। की देवी जी की 18 भुजाएं बनाई गयी हैं। ऐसा दूसरी दफा हुआ है। आज से 24 साल पहले यानी 1998 में ऐसा ही हुआ था जब काली जी की 18 भुजाएं बनाई गयी थी। दरअसल इस साल देवी माँ की स्थापना के 118 साल पूरे हो गए हैं। जिससे 18 भुजाएं बनाई गयी हैं। वैसे आमतौर पर हर साल 10 भुजाएं ही होती हैं। पांच पीढ़ियों से प्रतिमा का निर्माण किया जा रहा है। इसको लेकर बताया गया की इसमें अगली पीढ़ी को बताने के उद्देश्य से भी 18 भुजाएं बनाई गयी हैं। ताकि आगे भी ऐसा किया जा सके। वहीं हर साल माँ का पंडाल बेहद भव्य बनाया जाता है। जिसकी तैयारी पहले से ही शुरू कर दी जाती है। साथ ही इन्हे बनाने वाले लोग कलकत्ता से बुलाये जाते हैं। कमेटी के अध्यक्ष राजू ठाकुर का कहना है की माँ की प्रतिमा मिटटी से बनाई जाती है। साथ ही रुई का भी इस्तेमाल किया जाता है। कुछ चीजें बाहर से बुलाई जाती हैं एक खास बात ये है की केमिकल वाले रंगों का इस्तेमाल नहीं किया जाता। वहीं स्थानीय अनिल वर्मा का कहना है। की जैसे पहले तय रूटों के हिसाब से माँ का चल समारोह निकलता था ही इस बार भी वैसा ही निकाला जायेगा।--------