विश्व प्रसिद्द ज्योतिर्लिंग नगरी उज्जैन में श्रावण भादो महीना कार्तिक अगहन महीना, बैकुंठ चतुर्दर्शी और दशहरा पर्व पर हर साल बाबा महाकालेश्वर भक्तों का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकलते हैं। इसी तरह बाबा महाकाल के बाद माता सती के देह की रक्षा में तत्पर काल भैरव और सभी अष्ठ भैरव का विधि से पहले पूजन अर्चन किया जाता है। जिसमें से हर साल में दो बार नगर भ्रमण पर काल भैरव निकलते हैं। एक फूल ढोल ग्यारस पर, एक भैरव अष्टमी पर परंपरा का निर्वाहन करते हुए शासन द्वारा कलेक्टर आशीष सिंह ने विधि पूर्वक बाबा काल भैरव का पूजन अभिषेक कर बाबा को नगर भ्रमण के लिए विदा किया। तो वहीँ कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए श्रद्धलुओं के दर्शन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है। साथ ही सवारी मार्ग में भी बदलाव किए गए।
दरअसल हर साल भैरव अष्टमी के दो दिवसीय कार्यक्रम के दौरान बाबा काल भैरव, आताल पाताल भैरव, बटुक भैरव एक साथ नगर भ्रमण पर निकलते हैं। और यह परंपरा महाभैरव के जन्मोत्सव के दूसरे दिन निभाई जाती है। जिसमें हजारों की संख्या में दर्शन करने श्रद्धलुओं का तांता लगता है। वहीँ
पौराणिक मान्यता के मुताबिक उज्जैन में अष्ठ भैरव विराजमान हैं। जिनमें
1. काल भैरव - भैरव गढ़ क्षेत्र
2. आताल पाताल महाभैरव - सिंहपुरी क्षेत्र
3.विक्रांत भैरव - ओखरेश्वर शमशाम
4.बटुक भैरव - चक्रतीर्थ
5.आनंद भैरव - राम घाट
6.क्षेत्र पाल भैरव -सिंहपुरी क्षेत्र
कुटुम्बेश्वर महादेव मंदिर परिसर
7.गौरा-काला भैरव - गढ़कालिका
8.दंडपाणि भैरव - कालीदास्य उद्द्यान
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