मप्र के वल्लभ भवन में फिर उठा धुंआ, सेना के टैंकर समेत 40 दमकलें मौके पर मौजूद
मप्र सरकार के मंत्रालय में आग लगने के मामले थम नहीं पा रहे हैं। शनिवार की सुबह वल्लभ भवन फिर धधक उठा। आग की लपटों में कई फाइलें जलने की बात कही जा रही है। सुबह साढ़े नौ बजे लगी आग में आधा दर्जन कर्मचारी फंसे हुए थे। किसी तरह उन्हें सुरक्षित बाहर निकाल लिया है। लेकिन आग नहीं बुझ सकी। भोपाल, रायसेन, विदिशा, एयरपोर्ट, बीएचईएल और सेना समेत 40 दमकलें आग बुझाने में लगी हैं। घटना मंत्रालय वल्लभ भवन के गेट नंबर 5 और 6 के बीच बड़ी बिल्डिंग की तीसरी मंजिल की है। तेज हवा चलने के चलते आग चौथी, पांचवीं और छठवीं मंजिल पर भी फैल गई। दमकलें आग बुझाने में लगी हैं। महीने का दूसरा शनिवार होने की वजह से बिल्डिंग में ज्यादा कर्मचारी नहीं थे। बिल्डिंग में पांच कर्मचारी फंसे थे, सभी को बाहर निकाल लिया गया है।
दो कर्मचारियों को अस्पताल ले जाया गया। प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने कहा कि आग तीसरी मंजिल पर लगी है। इसने बाकी फ्लोर को भी कवर कर लिया। मंत्रालय का पुराना भवन होने के कारण यहां ज्यादा एक्टिविटी नहीं रहती है। जो कर्मचारी फंसे थे, वह सुरक्षित हैं और बाहर निकल आए हैं। मौके पर मुख्य सचिव वीरा राणा भी मौजूद हैं। बताया जा रहा है कि अनिल मंडलोई, अमित शर्मा समेत मंत्रालय के 5 कर्मचारी फंसे थे। जहां आग लगी है वहां पर सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी चौथी मंजिल पर बैठते हैं, जहां पहले मुख्य सचिव बैठा करते थे।
इसी बिल्डिंग में प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी, अपर मुख्य सचिव स्मिता भारद्वाज, जेएन कंसोटिया समेत अन्य अधिकारियों के दफ्तर हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मंत्रालय में आग लगने की जांच के आदेश मुख्य सचिव वीरा राणा दे दिए हैं। उन्होंने भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने की बात भी कही है।सूत्रों ने बताया है कि मंत्रालय 38 घंटे से बंद था। गुरुवार की शाम करीब 6 बजे मंत्रालय बंद हुआ। शुक्रवार को अवकाश था। शनिवार की सुबह अचानक से आग लगने पर तरह—तरह के सवाल उठ रहे हैंं। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने आग को लेकर सरकार पर हमला किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि भाजपा भ्रष्टाचार की फाइलें जला रही है। लगातार पांचवी बार वल्लभ भवन में बड़ी आग लगी है। यह पहला मौका नहीं है जब मंत्रालय में आग लगी है। पिछले कई सालों से यह सिलसिला चला आ रहा है। आग जलते समय ही इस पर चर्चा होती है। आग बुझते ही मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है। अब देखना यह है कि इस बार आग लगने के मामले की जांच किस तरीके से होती है।