सागर-दुनिया का इकलौता चतुर्मुखी जिनालय...जहां तक दिखेगा शिखर वहां तक का वास्तुदोष खत्म!
मध्य प्रदेश के सागर में चतुर्मुखी जिनालय का निर्माण कराया जा रहा है. यह जिनालय तीन मंजिला और 216 फीट ऊंचा होगा. बताया जा रहा है कि जहां से भी इसका शिखर दिखाई देगा, वहां तक का वास्तु दोष समाप्त हो जाएगा. आपको बता दें कि जैनियों के धार्मिक स्थल को जिनालय कहा जाता है. सागर में बन रहा यह जैन मंदिर चारों तरफ से एक जैसा ही दिखेगा. किसी भी तरफ से आप अंदर जाएंगे तो एक जैसा ही दृश्य नजर आएगा. सागर जैन समाज के द्वारा करोड़ों की लागत से भाग्योदय तीर्थ परिसर में इस जिनालय को बनाया जा रहा है. पिछले 4 सालों से लगातार इसका काम 200 मजदूरों द्वारा किया जा रहा है और अभी इसे बनने में 4 साल और लगेंगे.
मंदिर निर्माण पूरा होने के बाद इसमें पंचकल्याणक किए जाएंगे. ट्रस्टी मुकेश जैन ढाना ने बताया कि भाग्योदय तीर्थ परिसर में आचार्य विद्यासागर महाराज के आशीर्वाद से चतुर्मुखी जिनालय का निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा है. इस मंदिर का निर्माण कार्य 2019 फरवरी में प्रारंभ हुआ था. इसके लिए 325×325 फुट चौड़ा, 21 फीट गहरा गड्ढा खोदा गया था, जिसमें ब्लास्टिंग की गिट्टी और चूना भरकर कंप्लीट किया गया. उसके बाद पठारी के बड़े-बड़े पत्थरों से नींव रखी गई. उसके पश्चात भुज, मकराना का पीला पत्थर यहां पर लग रहा है.
मुकेश जैन ढाना ने बताया कि इस मंदिर के पहले खंड का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है. तीन खंड का मंदिर जिसमें प्रत्येक खंड में 108 मूर्तियां विराजमान होंगी. मंदिर की ऊंचाई 216 फीट है. मुकेश जैन ने बताया कि आचार्य श्री के अनुसार जहां से भी मंदिर का शिखर दिखाई देगा, वहां तक के वास्तु दोष समाप्त हो जाएंगे. विश्व में जैन धर्म का इकलौता चतुर्मुखी जिनालय है, जिसका नाम आचार्य भगवान ने सर्वतोभद्र जिनालय दिया है. आगे बताया कि मंदिर का निर्माण राजस्थान और गुजरात के कारीगर कर रहे हैं. लगभग 200 से अधिक मजदूर यहां पर कार्य कर रहे हैं. आचार्य श्री के अनुसार, मंदिर निर्माण के बाद मंदिर की उम्र लगभग ढाई हजार वर्ष की होगी.