18 साल से ऊपर के सभी लोगों को टीका लगाने का आइडिया क्यों है घातक? जानिए एम्स डायरेक्टर से
कोराना की पहले से भी जोरदार लहर के बीच देश में टीकाकरण अभियान के लिए तय उम्र सीमा को हटाने की मांग की जा रही है। इंडियन मेडिकल असोसिएशन (IMA) के अलावा कई एक्सपर्ट्स और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जैसे कुछ नेता भी केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को टीका दिए जाने की मांग कर चुके हैं। लेकिन, यह आइडिया कितना घातक साबित हो सकता है, इसे उजागर किया है दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने।
उन्होंने एक निजी न्यूज चैनल के साथ बातचीत में कहा कि सभी के टीकाकरण का आइडिया ठीक नहीं है क्योंकि इससे जरूरतमंद वर्ग को वैक्सीन का अभाव हो जाएगा जिससे देश में महामारी से मरने वालों की तादाद में भारी इजाफा हो सकता है। गुलेरिया ने कहा, अभी ऐसा वक्त नहीं आया है। इसके कई कारण हैं। पहला कारण है कि अगर कोविड बुजुर्गों को दबोचने लगा तो महामारी से मौतों की दर बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी। अगर हमें लोगों को कोविड के कारण मरने से बचाना है तो हमें सभी बुजुर्गों को इम्यून करना होगा।
उन्होंने आगे कहा,दूसरा, अगर हम कहेंगे कि सभी को यानी 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को टीका लगाएं तो हमें अपने आंकड़े भी देखने होंगे। हमारे देश में 18 साल से ऊपर की करीब 97 करोड़ आबादी है। चूंकि हर व्यक्ति को दो-दो डोज देना पड़ता है तो हमें करीब 2 अरब डोज चाहिए। अगर हम दुनियाभर से वैक्सीन मंगाकर जमा कर लें तो भी 2 अरब डोज नहीं हो पाएगी। अगर हमने प्रायॉरिटी तय करनी छोड़ दी तो कोविड बुजुर्गों और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को अपनी चपेट में लेने लगेगा और फिर मौतों का सिलसिला बढ़ जाएगा।