किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर ने ठोकी ताल, क्या दमोह में होगा त्रिकोणीय मुकाबला ?
दुर्गा मौसी ने जमा किया नामांकन दमोह से चुनाव लड़ रहीं महामंडलेश्वर
किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर ने ठोकी ताल, क्या दमोह में होगा त्रिकोणीय मुकाबला ?
कटनी जिले की जनपद सदस्य दुर्गा मौसी दमोह से लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में उतर आईं हैं। उन्होंने अपना नामांकन भी जमा कर दिया है। दुर्गा मौसी देश की पहली किन्नर सरपंच भी हैं। पहली किन्नर पीठाधीश्वर के बाद उन्हें महामंडलेश्वर घोषित किया गया है। नामांकन जमा करने के साथ ही उन्होंने जनसंपर्क भी शुरू कर दिया है। गौरतलब है कि दमोह लोकसभा से भाजपा ने राहुल सिंह लोधी और कांग्रेस ने तरवर सिंह लोधी को प्रत्याशी घोषित किया है। दोनों कैंडीडेट एक ही जाति के होने से चुनावी रोमांच कम दिख रहा था। अब दुर्गा मौसी के आने से त्रिकोणीय मुकाबला होता दिख रहा है। आपको बता दें कटनी जिले की रहने वाली दुर्गा मझवार उर्फ दुर्गा मौसी मुड़वारा तहसील के कनवारा गांव से सरपंच चुनी गई थीं। जहां उनके सामने 12 प्रतिद्वंद्वी थे। सभी को हराकर दुर्गा विजयी हुई थीं। इसके बाद दुर्गा देश की पहली किन्नर सरपंच के रूप में भी जानी गईं। कार्यकाल पूरा होने पर कलेक्टर ने उन्हें निष्पक्ष सरपंची पर प्रमाणपत्र भी दिया था। फिलहाल वे मुड़वारा के वार्ड क्रमांक 11 से जनपद सदस्य हैं। उन्होंने अपना पर्चा तब भरा जब मुख्यमंत्री मोहन यादव व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा दमोह में रोड शो करने पहुंचे थे। जब दुर्गा मौसी से दमोह से चुनाव लड़ने का सवाल किया तो उन्होंने कहा कि यहां से बाहरी प्रत्याशियों को खड़ा किया जाता है। कटनी यहां से लगा हुआ है। मैं महामंडेश्वर हूं इसलिए पूरे देश से ताल्लुक है। यहां भाजपा-कांग्रेस से भाई-भाई चुनाव लड़ रहे। इसलिए आ गई। इसके अलावा यहां का विकास भी नहीं हो सका है। भ्रष्टाचार मिटाना है। सारा देश मेरा परिवार है। मुझे किसी के लिए नहीं कमाना। इसलिए नि:स्वार्थ जनता की सेवा के लिए आशीर्वाद लेने आई हूं। दुर्गा के अनुसार उसकी राजनैतिक गुरु कटनी की पूर्व महापौर कमला मौसी हैं जो पहली बार किन्नर रहते हुए कटनी की महापौर बनी थी। इसके अलावा सागर में भी किन्नर महापौर कमला बुआ रह चुकी हैं। वहीं शहडोल जिले से भी किन्नर विधायक रह चुके हैं। दुर्गा मौसी उस समय चर्चा में आईं थी जब 2019 में प्रयागराज में कुंभ के दौरान उन्हें किन्नर अखाड़े का पीठाधीश्वर बनाया गया था। इसके बाद हरिद्वार में महामंडलेश्वर की घोषणा की गई। किन्नर अखाड़े को जूना अखाड़े ने अपना समर्थन देकर शामिल किया था। जिसमें बग्घी पर सवार होकर पेशवाई धूमधाम से निकाली गई थी और अमृत स्नान कराया गया था। उन्होंने प्रौढ़ शिक्षा के माध्यम से पढ़ाई की है। उपेक्षित वर्ग के बीच संघर्ष करते हुए दुर्गा मौसी इस मुकाम तक तो पहुंच चुकी हैं। अब देखना यह है कि दमोह की जनता दुर्गा मौसी पर कितना भरोसा जताती है।