पंद्रह सौ की आबादी में पानी की त्राहि-त्राहि, लाइन लगाकर करना पड़ता है इंतजार
पानी की कमी से सूख रहे कंठ ! 20 हैंडपंप बंद, कैसे बुझेगी प्यास ?
पंद्रह सौ की आबादी में पानी की त्राहि-त्राहि, लाइन लगाकर करना पड़ता है इंतजार
गर्मी शुरू होते ही जलसंकट ने आहट दे दी है। पथरिया जनपद के चिरौला गांव में बूंद-बूंद जुटाने की जदृदोजहद देख पानी की विकराल समस्या को समझा जा सकता है। 2000 लोगों की आबादी वाले गांव में चार हैंडपंपों से प्यास बुझाने लोग मजबूर हैं। घंटों की मशक्कत के बाद महिलाएं उपयोग के लिए पानी जुटा पाती हैं।
घर-घर पानी पहुंचाने के शोर के बीच चिरौला गांव के लोग जलसंकट के बीच गुजारा करने मजबूर हैं। कहने को गांव में 25 हैंडपंप लगे हैं लेकिन इनमें से कुल चार हैंडपंप ही नाकाफी पानी उगल रहे हैं। गर्मी आते ही जलस्तर घटने से पानी की किल्लत बढ़ती ही जा रही है। महिलाएं और बच्चे किसी तरह घंटों की मशक्कत के बाद पानी का इंतजाम कर पाते हैं। कई लोग गांव से दूर खेतों से पानी ढोते हैं। खेत खाली होने से किसानों ने भी बोर बंद कर दिए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि विद्युत आपूर्ति भी तेज—कम होने से मोटरें जल जाती हैं। इस कारण पानी के लिए भटकना पड़ रहा है। गांव वालों का कहना है कि महिलाएं दो-दो घंटे तक पानी के लिए नलकूपों पर खड़ी रहती हैं। पानी की चिंता इतनी सताती है कि गांव की महिलाएं मजदूरी करने तक नहीं जा पातीं। गांव में नल जल योजना होने की वजह से लोग परेशान हो रहे हैं। गांव में जलस्तर कम होने से अन्य सभी जलस्रोत कुआं तालाब सूख गए हैं। पिछले वर्ष अधिकारी पहुंचे थे उसके बाद भी पानी की व्यवस्था में खास अंतर नहीं आया। ग्राम पंचायत में भी शिकायत की है लेकिन जिम्मेदार ध्यान नहीं देते। गर्मी दिनोंदिन बढ़ती जा रही है ऐसे में जलसंकट का दायरा बढ़ना भी तय है। अब देखना यह है कि अधिकारियों की नींद कब खुलती है।