Sagar-पाकिस्तान से 70 साल पहले सागर आई थी ये मिठाई, बाबुल का प्यार लेकर बेटी के घर जाएंगे गेहर
फाल्गुन माह में रंगों का त्यौहार होली रंग पंचमी तक मनाया जाता है, लेकिन रंगों का त्यौहार मिठास के बिना अधूरा अधूरा सा लगता है सागर में सिंधी समाज के द्वारा स्पेशल मिठाई गेहर का बड़ा महत्व है, सिंधी समाज की यह परंपरा है कि जिस किसी की भी बेटी की शादी होती है तो उसकी पहली होली पर यह मिठाई ससुराल भेजी जाती है बेटी भी बाबुल के घर से प्यार भरी मिठास आने का इंतजार करती रहती है,
दरअसल 70 साल पहले पाकिस्तान से सिंधी समाज के लोग सागर आए थे वह अपने साथ अपनी परंपरा सभ्यता और संस्कृति संजोए हुए हैं इसलिए शिवरात्रि से लेकर रंग पंचमी तक यह मिठाई तैयार की जाती है शहर में केवल इसकी पांच दुकानें ही हैं सिंधी कैंप में दुकान चल रहे महेश तलरेजा ने बताया करीब 61 साल पहले उनके दादा ने सागर में इस दुकान की शुरुआत की थी.
दादा के बाद पिता ने इसे चलाया और अब हम इसका संचालन कर रहे हैं. साल 1973 में इसकी शुरुआत की गई थी, तीन पीढियां से हमारा परिवार इसी में लगा हुआ है, रंग पंचमी के अवसर पर इस मिठाई की बहुत डिमांड रहती है. एक दिन में 50 किलो तक गेहर बन जाती है. इस त्यौहार के बाद अगर कोई व्यक्ति डिमांड करता है तो फिर मिठाई को बनाकर दे दिया जाता है. इस मिठाई को बड़ी जलेबी के नाम से भी जाना जाता है वही सिंधी समाज के लोग पहली बार जब इसको खरीदने हैं तो पूजा अर्चना भी करते हैं यह साल के 365 दिन में से केवल 20 दिन ही मिलती है