सागर का इकलौता 300 साल पुराना मंदिर जहां केवल महिलाएं बरसाएंगी रंग, पुरुषों की नो एंट्री
मिनी वृंदावन कहे जाने वाले सागर के बाद बाजार इलाके में 300 साल पुराना श्री देव अटल बिहारी मंदिर है यह जिले का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां केवल महिलाएं कान्हा के संग रंग खेलती हैं रंग पंचमी पर महिलाएं बिंदास बेफिक्र होकर भगवान की भक्ति में डूबी हुई नजर आती है पिछले 46 साल से यह परंपरा चली आ रही है
जिसका निर्वहन आज भी किया जा रहा है धुलेड़ी पर भक्तों के संग होली खेलने के लिए ठाकुर जी गर्भ ग्रह से बाहर निकलते हैं उन्हें रंग गुलाल अबीर लगाकर होली की शुरुआत होती है फाग मंडली फाग गायन करती हैं, तो रंग पंचमी महिलाओं के लिए यहां पर रिजर्व है केवल वे ही रंग खेल सकती हैं, रंग खेलने के लिए पुरुषों की नो एंट्री रहती है हालांकि मंदिर के व्यवस्थापक जरूर यहां पर मौजूद रहते हैं
पुजारी पंडित अमित चांचोदिया ने बताया कि बिहारी जी के इस मंदिर में धुलेडी और रंग पंचमी पर होली खेलने की सदियों से परंपरा है. पुरुष तो कहीं भी होली खेल सकते हैं लेकिन महिलाओं की ऐसी कहीं कोई व्यवस्था नहीं थी कि महिलाएं होली खेल सके. ऐसे में करीब 46 साल पहले उस समय के पुजारी से महिलाओं ने निवेदन करते हुए यह बात रखी कि उनके लिए भी कुछ ऐसा इंतजाम किया जाए कि वह भी भगवान के साथ होली खेल सके.
इसके लिए रंग पंचमी का दिन रिजर्व किया गया. जिसमें रंग पंचमी महोत्सव के दौरान किसी भी पुरुष को रंग खेलने मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाता और वह परंपरा आज भी चल रही है. महिलाएं बेटियां पूरी तरह से कृष्ण में डूब कर गीतों का आनंद लेते हुए रंग गुलाल खेलती हैं.