भगवान राम की दी सीख से जांघ चीरकर मां को बनवाईं चरण पादुकाएं, जानिए कैसे हिस्ट्रीशीटर बना मातृभक्त

 

प्रेमिकाओं के लिए हाथ की नसें काटने वाले और टैटू बनवाने वाले आशिक आपने बहुत देखे होंगे। लेकिन अपनी मां के लिए खुद की चमड़ी से चरण पादुका बनवाने वाले मातृभक्त शायद ही आपने कहीं देखा या सुना हो।

 

 

आज हम आपको एक ऐसे ही बेटे के त्याग और संकल्प की कहानी लेकर आए हैं। जी हां, उज्जैन में एक बेटे ने रामायण से सीख लेकर अपनी मां को जांघ से अपनी चमड़ी निकलवाकर चरण पादुकाएं भेंट की हैं। बाकायदा भागवत कथा का आयोजन कर उसने मां के पांवों में चरण पादुकाएं पहनाईं। आपको जानकर हैरानी होगी कि उक्त युवक पहले थाने का हिस्ट्रीशीटर रहा है।

 

पहले वह अपराध करता था। थाना, कोर्ट, कचहरी और जेल आना—जाना लगा रहता था। गोलियां चलाना उसका शौक बन गया था। अपराध के दलदल में पूरी तरह फंस चुका था। उज्जैन के अलग—अलग थानों में उस पर 30 केस दर्ज हो गए। 2019 में रंगदारी मामले में पुलिस से उसकी मुठभेड़ भी हुई। उसे पांव में गोली लगी। जेल गया लेकिन जब उसने रामायण पढ़ना शुरू की तो जीवन में ऐसा बदलाव आया कि अपराध की दुनिया से उसने तौबा कर ली। अब लोग उसे भक्त के रूप में जानते हैं।

 

 

नाम है रौनक गुर्जर। ढांचा भवन के पास रहने वाले रौनक ने हाल ही में भागवत कथा का आयोजन कराया। इस कथा में सारे लोग उस समय चौंक गए जब कथा स्थल पर रौनक को बिस्तर पर लेटे हुए पैर में पट्टी बांधे देखा। थोड़ी ही देर में उसने अपनी मां निरुला गुर्जर को चरण पादुकाएं भेंट कीं। पादुकाएं रौनक की जांघ से निकली चमड़ी से बनाईं गई थीं। इसके लिए उसने सर्जरी कराई थी।

 

 

 

कथा में यह नजारा देखने वालों की आंखों से आंसू बह निकले। जांघ से चमड़ी निकलवाने की बात उसने किसी को नहीं बताई थी। बकौल रौनक वह रोज रामायण पढ़ता है। रामायण के एक प्रसंग में भगवान राम कहते हैं कि मां को इतना महान बताया कि अपनी चमड़ी से चरण पादुकाएं बनाईं जाएं तब भी ऋण नहीं उतर सकता। बस यहीं से सीख लेकर उसने अपनी को चरण पादुकाएं बनाने का संकल्प ले लिया।

 

 


अपने लिए बेटे का त्याग देखकर मां निरुला गुर्जर की आंखों से आंसू बह निकले। वह कभी चरण पादुकाएं देखती तो कभी अपने बेटे का चेहरा। काफी देर तक वह रौनक को दुलार करती रहीं। उन्होंने कहा कि भगवान ऐसा बेटा सभी को दे। भगवान उसके हिस्से के दुख मेरी झोली में डालकर उसे सदा खुश रखे।

 

 

रौनक ने उज्जैन के ढांचा भवन पुरानी टंकी के पास मैदान में 14 से 21 मार्च तक भागवत कथा का आयोजन कराया था। इसी में मां को आखिरी दिन चमड़ी से बनी चरण पादुकाएं भेंट कीं। कथा वाचक पंडित जितेंद्र महाराज ने व्यासपीठ से रौनक की मातृभक्ति का उदाहरण दिया।

 

 

 

आज जहां लोग मां—बाप को वृद्धाश्रमों में अकेला छोड़ रहे हैं। हमारा परंपरागत सामाजिक ढांचा बिखर रहा है। वहां रौनक के प्रयास में नई उम्मीद नजर आ रही है। हम जिस माहौल में रहते हैं, वैसे ही बन जाते हैं। रौनक पहले अपराध की दुनिया में था तो अपराध करता था। जब हाथ में रामायण ली तो मां का भक्त बन गया। अब हमें ही यह सोचना होगा कि हमें कौन सा रास्ता चुनना है।


By - sagartvnews
22-Mar-2024

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