सागर- 100 साल से नहीं जलाई होली, ऐसा करने से माता नाराज हो जाती, एक बार ग्रामीणों ने कोशिश की थी तो...
24 मार्च को होलिका दहन है पूरे देश में इसको लेकर तैयारी चल रही है, हर तरफ उमंग और उत्साह है,वृंदावन और ब्रज में तो 40 दिन पहले से ही यह महोत्सव शुरू हो जाता है लेकिन सागर जिले में एक ऐसा गांव है जहां गलियां सुनसान है घरों में सन्नाटा पसरा हुआ है यहां होलिका दहन के नाम पर लोग डर जाते हैं मान्यता है कि ऐसा करने से गांव के बाहर जंगल में विराजी माता झारखंडन नाराज हो जाती है. 400 साल से यहां पर होलिका दहन नहीं किया गया है एक बार ग्रामीणों ने जिद करके होली का दहन करने की कोशिश की थी तो पूरे गांव में आग लग गई थी तब माता से जाकर प्रार्थना की और आग शांत हुई थी इसके बाद कभी किसी ने दोबारा ऐसा करने की हिम्मत नहीं की, हालांकि रंग गुलाल खेलने से कोई परेशानी नहीं होती है गांव के लोग रंग गुलाल में जमकर डूबे हुए नजर आते हैं.
दरअसल सागर जिले के देवरी विकासखंड में हथखोह गांव है जहां करीब ढाई सौ घरों की बस्ती है इसमें अधिकांश आदिवासी परिवार रहते हैं मंदिर के पुजारी छोटे भाई ने सागर टी व्ही न्यूज से बात करते हुए बताया कि हमारे गांव में होली जलाने की परंपरा नहीं है कभी किसी ने यहां पर होली का दहन होते हुए नहीं देखा है लेकिन हमारे बुजुर्ग यह जरूर बताते हैं कि करीब 100 साल पहले किसी ने ऐसा करने की कोशिश की थी तो माता का कोप देखने को मिला था जिसका नतीजा यह हुआ था कि गांव के हर घर में आग लग गई थी खेतों की फसले जलने लगी थी, आग की लपटे बढ़ती ही जा रही थी, तब ग्रामीणों को एहसास हुआ कि उन्होंने क्या गलती कर दी है गांव के सभी लोग दौड़े दौड़े झारखंडन माता के दरवाजे पर पहुंचे उनकी पूजा की प्रार्थना की और फिर ऐसा ना करने का वचन भी दिया इसके बाद माता शांत हुई आज भी काबू में हो गई इसके बाद से कभी यहां पर होलिका दहन नहीं किया गया, इसके बाद कभी कोई आपदा नहीं आई है मां स्वयं इस गांव की रक्षा करती हैं.
बताते हैं कि सदियों से यहां पर आदिवासी ही पूजा करते हुए आ रहे हैं, कई साल पहले गांव के ही एक बुजुर्ग यहां पर पत्थर के रूप में देवी को पूजते थे जब लोगों को इसके बारे में जानकारी लगी तो पहले यहां चबूतरा बनवाया फिर छोटी सी मडिया बनाकर माता को स्थापित किया गया लेकिन माता की महिमा ऐसी रही की लोगों के काम होने लगे जिसकी वजह से अब इस मडिया ने भव्य मंदिर का रूप ले लिया है, नवरात्रि के समय में यहां पर भव्य मेला भी लगता है