भारत से चीन में योगा सिखाने गए योग गुरु का मामला, भारतीय दूतावास को क्यों देना पड़ा दखल ?
भारत से चीन के बीजिंग शहर में योगा सिखाने गए ग्वालियर निवासी योग गुरु की बॉडी आखिर कार 89 दिन बाद भारत लौट आई। भारतीय दूतावास के हस्तक्षेप के बाद योग ट्रेनर प्रबल कुश्वाहा की बॉडी भारत को सौंपी गई है। जैसे ही कफन में लिपटी बॉडी ग्वालियर पहुंची तो माता—पिता और परिजन फूट—फूटकर रोने लगे। शाम को ही अंतिम संस्कार किया गया। आपको बता दें 23 दिसंबर 2023 को प्रबल के निधन की जानकारी सामने आई थी। जिसके बाद से ही शव को भारत लाने की कोशिश की जा रही थी। करीब 3 महीने के अंतराल पर बॉडी काली पड़ चुकी थी। प्रबल के पिता सुरेंद्र कुशवाह टैक्सी चालक हैं।
इनका परिवार ग्वालियर के माधौगंज स्थित रॉक्सी पुल क्षेत्र में रहता है। फरवरी 2023 में प्रबल को चाइना के बीजिंग से योग सेंटर में नौकरी के लिए ऑफर मिला था। इसे करियर का टर्निंग पॉइंट मानकर वह चीन चला गया था। 19 दिसंबर 2023 को पिता की अपने इकलौते बेटे से बात हुई थी। इसके बाद से लगातार बेटे का फोन बंद आ रहा था। परिजन को शंका हुई तो उन्होंने चाइना में उसे बुलाने वाली सू-चाइना और मिस रोजी से संपर्क किया। उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। इसके बाद जब संपर्क हुआ तो बताया गया कि प्रबल ने जान दे दी है। माता-पिता तीन महीने से सदमे में रहे।
सोमवार को जब शव घर पहुंचा तो उनकी आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। पिता का कहना था कि हमने तो इकलौते बेटे को कैरियर बनाने चीन भेजा था। यह सब क्या हो गया। उनकी दशा देख हर कोई गमगीन हो गया। प्रबल के पिता सुरेंद्र कुशवाहा ने बताया कि बेटे को बचपन से ही योग का शौक था। उसने बेंगलुरु से कोर्स भी किया था। चाइनीज समेत कई भाषाएं सीखीं, ताकि विदेश जाने का मौका मिल सके। उसे चीन के बीजिंग से ऑफर आया था। उसे भेजते समय हमें डर भी था, क्योंकि वह हमारा इकलौता बेटा था।
फिर भी उसकी तरक्की के लिए दिल पर पत्थर रख लिया था। सू चाइन नाम की महिला मित्र प्रबल को चीन ले गई थी। परिजनों ने बॉडी भारत लाने के लिए केंद्र सरकार से गुहार लगाई है। चीनी अधिकारी इसे आत्महत्या का मामला बता रहे हैं। जबकि परिजनों ने चीनी महिला और भारतीय युवा मित्र पर हत्या का आरोप लगाया है। तीन महीने के इंतजार के बाद परिजन को बॉडी तो मिल गई है लेकिन इंसाफ का इंतजार है। अब देखना यह है कि न्याय का इंतजार कर रहे परिजनों की उम्मीद कब तक पूरी होती है।