Sagar-चंदा केसरवानी जीते जी ऐसा कर गईं जो चमकती रहेंगी उनकी आंखें, डॉक्टरों ने की तारीफ
वृंदावन वार्ड सागर निवासी 72 वर्षीय चंदा केसरवानी ने सोमवार को नश्वर देह त्याग दी। अब वह किसी दूसरे की आंखों में जिंदा रहेंगी। जीते जी उनकी सराहनीय सोच अब किसी नेत्रहीन की जिंदगी में रंग भरने के काम आएंगी। कुछ समय से उन्हें निमोनिया से चपेट में ले रखा था। सोमवार की सुबह 8 बजे अंतिम सांस लेने के पहले उन्होंने बीएमसी में नेत्रदान की इच्छा जाहिर की थी। उनकी अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए परिजन ने तत्काल उनके निधन की सूचना नेत्रविभाग में दी गई।
इसके बाद विभागाध्यक्ष डॉ प्रवीण खरे ने आईबैंक टीम के साथ मौके पर पहुंचे। परिजनों से लिखित सहमति के बाद चिकित्सकीय एहतियात के साथ दिवंगत चंदा केसरवानी की आंखों के कार्निया को सुरक्षित निकाल लिया गया। डॉ प्रवीण खरे ने दिवंगत चंदा केसरवानी के सुपुत्र धर्मेंद्र केसरवानी नाति शिवांस ,श्रेयांश केसरवानी का आभार जताया। उन्होंने बताया कि बीएमसी का यह सातवां नेत्र दान था।
नेत्र दान पुनीत कर्म है जो किसी नेत्र हीन के जीवन में अंधेरा हटाकर उजाले का नया सूरज लेकर आता है। डॉ सारिका चौहान आई बैंक इंचार्ज ने बताया कि दान दाताओं में शारीरिक संक्रमण होने की स्थिति में आंख की विशेष जांच की जाती है और इसके उपरांत ही उसे प्रत्यारोपण (transplant) किया जाता है। यदि आंख में संक्रमण की वजह से transplant हेतु cornea उपयुक्त नहीं है तो इसे research purpose हेतु उपयोग किया जाता है।