सागर-इस नदी में लगता देवताओं का रहस्यमई दरबार, रात में आती संगीत की आवाज़
नदी में देवताओं की महफ़िल रात में आती संगीत की आवाज़
सागर-इस नदी में लगता देवताओं का रहस्यमई दरबार, रात में आती संगीत की आवाज़
सागर में रहस्यों से भरे कई स्थान है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी नदी के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां देवताओं का दरबार लगता है. वहां से मधुर संगीत सुनाई देता है. स्थानीय लोगों का दावा है कि उन्होंने यहां पर अद्भुत प्रकाश भी देखा है. इस चमत्कारिक नदी का नाम गन्धर्वी है. लोगों का मानना है कि इस नदी में गन्धर्वी शक्तियां आज भी मौजूद हैं. ढाना से गधेरी नदी का उदगम होता है गंधर्वी ही अपभृंश होकर गधेरी बन गई है, 30 किलोमीटर तक बहने पर गढाकोटा के पास सुनार नदी में संगम हो जाता हैं. बड़ी-बड़ी चट्टानों को काटते हुए भीषण जंगल के बीच से निकली यह नदी हजारों साल के इतिहास की गवाह है.
हज़ारों साल पुरानी आपचांद की गुफाये इसी नदी के किनारे पर स्थित है. यहां कई लोगों ने इन गन्धर्वी शक्तियों को महसूस किया है. अंधेरा होने से पहले ही लोग यहां से वापस लौट आते हैं चढ़ती दोपहरी में भी इस इलाक़े में जाने की मनाही रहती है. यहीं पर थोड़ी दूर में प्राचीन सिद्ध हनुमान पीठ हैं. जिसके महामंडलेश्वर श्री 1008 रामाधार जी महाराज बताते हैं कि जब वह बहुत छोटे थे और अपने गुरु के साथ कंदराओं में रहते थे तो हमारे महाराज जी अक्सर नदी के उस पार जाने से रोकते थे. तो हमारे मन में
कौतूहल रहता था कि वहां क्यों नहीं जा सकती एक बार महाराज जी रात में सो रहे थे और मैं धीरे से उठकर निकल गया कुछ दूरी पर जाने के बाद नदी से मधुर संगीत सुनाई दे रहा था ऐसा संगीत और कहीं नहीं सुना, ढोलक, थाप ,मृदंग, घुंघरू की आवाज में आ रही थी जिसे मैंने कुछ देर तक सुना और फिर अचानक नदी के बीचो-बीच एक अद्भुत तेज प्रकाश दिखाई दिया जिसे देखकर मैं डर कर तुरंत भाग आया, महाराज जी को बताया कि तो उन्होंने कहा यह गन्धर्वी शक्तियां हैं गंधर्व देवराज इंद्र की सभा में शास्त्रीय संगीत कर राग जमाते हैं. इन शक्तियों की वजह से लोग पागल हो जाते हैं मृत्यु भी हो सकती है या और कोई नुकसान भी हो सकता है. इसलिए अब वहां नहीं जाना इसके बाद मैंने कभी भी रात में वहां जाने का दुस्साहस नहीं किया. लेकिन आज भी वह मधुर संगीत रात में या सनाके की दोपहरी में यहां पर कभी-कभी सुनाई देता है.