सागर- 119 साल पुरानी रामलीला में धनुष भंग देखने पहुंचे हजारो लोग | sagar tv news |
सागर- 119 साल पुरानी रामलीला में धनुष भंग देखने पहुंचे हजारो लोग | sagar tv news |
धनुष भंग देखने उमड़ा सैलाब 119 साल पुराना रामलीला इतिहास
सागर शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर देवलचोरी गांव में 119 साल से लगातार रामलीला का मंचन हो रहा है, देवलचोरी गांव की रामलीला को बुंदेलखंड की सबसे प्राचीन रामलीला भी कहा जाता है और रामलीला का आयोजन हर साल बसंत पंचमी से शुरू होता है जो एक हफ्ते तक चलता है। हर साल की तरह इस साल बसंत पंचमी के पावन पर्व से रामलीला के मंचन की शुरुआत हुई, वहीं मंगलवार को सीता स्वयंवर और धनुष यज्ञ का आयोजन किया गया इसमें राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता के विवाह के लिए स्वयंवर का आयोजन किया था।सीता स्वयंवर के धनुष यज्ञ में बड़े-बड़े पराक्रमी राजा असफल हो गए और धनुष नहीं तोड़ सके अंत में अपने गुरु की आज्ञा से जब अयोध्या के राजकुमार राम ने धनुष उठाया तो पूरा देवलचोरी गांव जय श्री राम को उद्घोष से गूंज उठा और श्री राम ने जनकपुर की राजकुमारी सीता से विवाह किया।
देवल चोरी गांव में रामलीला की यह परंपरा ब्रिटिश काल में सन 1905 मैं शुरू हुई थी जब स्थानीय मालगुजार छोटेलाल तिवारी द्वारा रामलीला के मंचन का फैसला लिया गया था और तय किया गया था कि गांव के लोग ही रामलीला के पात्रों का अभिनय करेंगे और गांव में ही रामलीला का मंचन किया जाएगा।मालगुजार छोटेलाल तिवारी के फैसले के बाद स्थानीय युवकों और बुजुर्गों ने मिलकर हो पात्र तय कर बात कई दिनों तक अभ्यास किया, सीमित संसाधनों में रामलीला मंचन की शुरुआत की गई रामलीला के पहले आयोजन में आसपास के गांव के लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी और तय किया गया अब हर साल बसंत पंचमी पर यह रामलीला का आयोजन किया जाएगा और यह परंपरा अब लगातार जारी है
गांव के चौकीदार वीरन चढ़ार अपने भारी भरकम शरीर और भारी आवाज के चलते रावण का किरदार निभाते हैं मूछ रखने का शौक उनके रावण के किरदार में चार चांद लगा देता है...इंजिनियर भारत भूषण तिवारी पिछले 36 सालों से रामलीला में राजा जनक और भगवान परशुराम का अभिनय करते आ रहे हैं