इस अस्पताल का इलाज में नहीं मिलता इलाजए जाने क्यों सड़कों पर उतरे लोग
अस्पताल बनी अखाड़ा अब बीएमओ के खिलाफ गुस्सा
इस अस्पताल का इलाज में नहीं मिलता इलाजए जाने क्यों सड़कों पर उतरे लोग
छतरपुर जिले की बकस्वाहा सरकारी अस्पताल इलाज की जगह विवादों की अस्पताल बनती जा रही है। बीएमओ ने जहां अस्पताल में इलाज न मिलने पर हंगामा करने वाले बीजेपी मंडल अध्यख और शिक्षक को दबंग बताकर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी वहीं अब जनता बीएमओ के खिलाफ सड़कों पर उतर आई है। लोगों का आरोप है बीएमओ ने अस्पताल को शराबियों का अड्डा बना डाला है। वह खुद भी नशे में रहकर ड्यूटी करते हैं और मरीजों से अभद्रता करते हैं। विभागीय अधिकारियों द्वारा कार्रवाई करने से उनके हौसले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। गौरतलब है कि बीती रात चंदन ठाकुर निवासी मंगरई अपनी पत्नि सोनम को गंभीर हालत में रात 10 बजे समुदायिक स्वास्थ केन्द्र बकस्वाहा लेकर पहुंचा था। जहां पर इलाज को लेकर बात को लेकर बीएमओ एवं बीजेपी मंडल अध्यक्ष नीलू सोनी सहित अन्य लोगों का विवाद हो गया। बीएमओ ने सभी की शिकायत थाने में कर दी। इसके बाद स्थानीय रहवासी भी अब बीएमओ और स्टाॅफ के खिलाफ मैदान में आ गए हैं। लोगों का आरोप है कि नशे में धुत बीएमओ सहित स्टाफ के वार्डबाॅय मरीज के परिजनों को फटकारने लगे जिससे भयभीत होकर मरीज के परिजनों ने अपने चितपरिचितों को फोन लगाकर अस्पताल बुलवाया। जिस पर नशे में चूर बीएमओ के साथ कर्मचारी मरीज के साथ पहुंचे परिजनों पर भड़क उठे। इसकी सूचना लगने पर थाना प्रभारी एवं तहसीलदार भरत पांडे सहित नीलू सोनी अस्पताल जा पहुंचे तथा हालातो को संभाला। मरीज सोनम की बिगड़ती हालत को देखते हुए उसे जिला अस्पताल रैफर करने की बात कही। जिस पर बीएमओ कर्मचारी सहित भाजपा मंडल अध्यक्ष नीलू परे पर बिगड़ पड़े तथा उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने की धमकी देने लगे। बकस्वाहा अस्पताल वर्तमान में शराब का अड्डा बनी हुई है। डाक्टर रविराज एवं वार्डबॉय की शराबखोरी से क्षेत्र के मरीज अस्पताल आने से घबराते हैं। शराबखोरी के विरुद्ध पूर्व में भी इनके कारनामे समाचार पत्रों की सुर्खिया बन चुके हैं। लेकिन कार्रवाई न होने से अस्पताल की व्यवस्थाएं पूरी तरह चरमरा गई हैं। असहाय एवं गरीब मरीजों को समय पर समुचित उपचार नहीं मिल पा रहा है। जिम्मेदार अस्पताल में नशाखोरी एवं मौज.मस्ती में व्यस्त हैं। उनके अधीनस्थ कर्मचारी शासन द्वारा गरीबों के लिए संचालित की जा रही कल्याणकारी योजनाओं को पलीता लगाने मे जरा भी परहेज नहीं कर रहे हैं। आलम यह है कि मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। उल्टे मरीजों पर झूठे मामले दर्ज कर डराया जाने लगा है।