जनसेवा छोड़ जमसेवा में जुटी यहां की पुलिस। जानिए साढ़े आठ लाख की भैसों का रहस्य?
आपने किसी थाने में भैंसों का तबेला देखा है या कहीं वर्दी में चारा-भूसा खिलाने वाले टीआई-दरोगा देखे हैं। अगर नहीं देखा है तो खंडवा के जावर थाना को देख लीजिए। यहां पर पूरा महकमा भैंसों की सेवा में लगा रहता है।
भैंसें भी एक-दो नहीं बल्कि 17 भैंसों का झुंड। रिपोर्ट लिखाने वाले जैसे ही थाने में पांव रखते हैं तो वे चौंक जाते हैं कि कहीं गलत जगह तो नहीं आ गए। फरियादी क्या हम और आप भी यही समझेंगे। आजकल यहां जनसेवा से ज्यादा भैंस सेवा पर जोर जो दिया जा रहा है। कोई पुलिसवाला पानी पिला रहा, कोई सानी बना रहा, कोई भूसा की टोकरी लिए घूम रहा है। कोई नहला कर भैसों की मसाज कर रहा है।
पूरा नजारा देखकर थाने को तबेला समझना स्वाभाविक ही है। दरअसल पुलिस ने चेकिंग के दौरान अवैध परिवहन करते 17 भैंसे पकड़ लीं। तभी से यह मामला उनके गले की फांस बन गया है। अब संत्री से लेकर हवलदार, मुंशी, दरोगा और टीआई साहब सभी सुबह से रात तक भैंसों की तीमारदारी में लगे रहते हैं। अधिकांशत: चेकिंग में गाय या बछड़े पकड़े जाते हैं।
इस पर पुलिस उन्हें गौशाला भेजकर मुक्त हो जाती है। लेकिन इस बार भैंसों से पाला पड़ गया। लिहाजा अब पूरे थाने को एक-एक कर भैंसों को चारा-भूसा, खरी-चापर और पानी रखकर उन्हें नहलाने की जिम्मेदारी निभानी पड़ रही है। 17 भैंसे एक दिन में पांच हजार का चारा—भूसा निगल रही हैं। सारी व्यवस्था पुलिस को ही करनी पड़ रही हैं।
अब भैंसे तो आराम से जुगाली कर रही हैं और पुलिसवालों का पसीना छूट रहा है। भैंसों की कीमत साढ़े आठ लाख रुपए से ज्यादा बताई जा रही है। इनकी सेवा की मुख्य जिम्मेदारी थाना प्रभारी जेपी वर्मा के कंधों पर है। जब तक न्यायालय भैंसों की सुपुदर्गी उनके मालिक को नहीं सौंप देता तब तक थाने में जन सेवा की जगह जम सेवा चलनी है।