सागर- गौरक्षक वकील ने सड़क से लेकर कोर्ट तक बिना फीस लड़ी लड़ाई। जानिए क्यों जागा जुनून

 

गाय रक्षा के मामले आपने बहुत सुने होंगे। आए दिन गोरक्षा के नाम लोग कानून हाथ में लेते दिखाई देते हैं। लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जो कानून के दायरे में रहकर भी लड़ाई लड़ते हैं। परकोटा सागर के वरिष्ठ अधिवक्ता बीसी जैन ऐसे ही विरले गौरक्षकों में से एक हैं।

 

 

इन्होंने गौ—रक्षा के लिए न्यायालयों में एक, दो नहीं बल्कि 2700 केस लड़े हैं। यह केस भी उन्होंने बिना फीस लिए खुद के व्यय पर लड़े। आज अधिवक्ता जैन की उम्र 73 साल हो चुकी है। करीब 70 से ज्यादा गायों को वे कटने से बचा चुके हैं।

 

 

इस बीच कई बार पुलिस ने उन पर ही मामले कायम किए। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। इस उम्र भी गायों के लिए लड़ने का उनका जुनून कम नहीं हुआ है। अभी भी वे 37 केसों की पैरवी कर रहे हैं। सागर और बुंदेलखंड के अलावा महाराष्ट्र, दिल्ली सहित देश के कोने—कोने में उन्हें बुलाया जाता हैं। गोवध अधिनियम में संशोधन करने भी इन्होंने 1 साल तक संघर्ष किया है।

 

 

बकौल अधिवक्ता जैन साल 2002 से गायों के संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं। विद्यासागर महाराज की प्रेरणा से उन्होंने गायों से संबंधित केस लड़ना और कसाइयों के द्वारा उन्हें कटने से बचाने का काम शुरू किया था। करीब 22 साल पहले बीना रेलवे स्टेशन पर गायों से भरी एक ट्रेन आने की सूचना मिली थी जो कसाइयों के द्वारा बंगाल ले जाए जा रही थी। उन्होंने अन्य लोगों को जानकारी देकर इस ट्रेन को बीना में रुकवाया।

 

 

 

इसमें 8900 गोवंश भरे हुए थे। जबकि उनके पास मात्र 1100 मवेशियों की रॉयल्टी थी। 7000 से अधिक अवैध रूप से मवेशी ले जाए जा रहे थे इस दौरान 5 घंटे तक वहां पर भारी बवाल मचा रहा था। उनके ऊपर मामला दर्ज किया उन्होंने भी मामला दर्ज कराया। इसके बाद लोअर कोर्ट, सेशन कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक यह मामला गया।

 

 

आखिर में 7800 से अधिक मवेशियों के लिए गौशाला भिजवाया गया। यही से उन्होंने गायों के संरक्षण के लिए संकल्प लिया था। इसके बाद बालाघाट के सांगली में भी 61 हजार गायों को साल 2003 में कटने से बचाया था। साल 2006 में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के द्वारा उन्हें दयोदय रत्न से और साल 2023 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा सागर गौरव रत्न से सम्मानित किया गया था।

 

 

 

बीसी जैन ने सागर की डॉक्टर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय से लॉ करने के बाद 1973 से वकालत कर रहे हैं। 1983 से 2010 तक वह यूनिवर्सिटी में ही असिस्टेंट प्रोफेसर रहे। 1994 से 2005 तक सरकारी वकील भी रहे हैं।सब व्यस्तताएं होने के बाद भी वह गायों से संबंधित मामलों के लिए समय निकाल ही लेते थे और आज भी कोई कसर नहीं छोड़ते हैं।


By - sagartvnews
01-Feb-2024

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