सागर-लंबी बीमारी में बेडसोर बन जाते हैं मुसीबत। डॉक्टरों ने बताए बचाव के उपाय
बीमारी के दौरान लंबे समय तक बिस्तर पर बिताने से बेडसोर होने का खतरा रहता है। यह घाव बड़े ही कष्टप्रद होते हैं। इससे मरीजों की मुश्किलें बढ़ जाती हैं। बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में इस समस्या को लेकर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
इसमें आईएमए के डॉक्टर भी शामिल रहे। सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सुनील सक्सेना ने बेडसोर में महत्वपूर्ण जानकारियां दीं। उन्होंने बताया कि बेडसोर को दबाव अलसर और डेसुबिटस अलसर भी कहा जाता है। त्वचा पर निरंतर दबाव होने के कारण ऊतकों में क्षति हो जाती है जिससे त्वचा पर ज़ख्म हो जाते हैं।
बेडसोर ज़्यादातर शरीर के जोड़ों वाले हिस्सों एड़ी, टखने, कोल्हू और रीढ़ की हड्डी का सबसे निचले हिस्से में होते हैं। जो लोग बीमारी या अन्य तकलीफ के कारण ज़्यादा चल-फिर नहीं पाते या जो लोग अपना समय ज़्यादातर कुर्सी या बिस्तर पर बिताते हैं,उन्हें दबाव अलसर होने का जोखिम बढ़ जाता है। इसमें त्वचा के रंग या बनावट में असामान्य बदलाव आ जाता है। घाव में सूजन और मवाद हो जाती है।
इससे बचने के लिए अपने शरीर की पोजीशन बदलते रहने से आप अपनी त्वचा पर दबाव देने से बच सकते हैं। त्वचा का ध्यान रखना, शरीर को पोषित रखना, अधिक मात्रा में पानी का सेवन करने से बेडसोर से बचा जा सकता है। संगोष्ठी के साथ चौथा बीएमसी सम्मान समारोह का भी आयोजन किया गया।
इसमें विशिष्ट सेवाएं देने के लिए विभिन्न विभाग से स्टाफ को पुरस्कृत किया गया। नर्सिंग स्टूडेंट से डॉली यादव, दीक्षा पटेल, सेरेना जॉर्ज, पल्लवी साहू और नर्सिंग ऑफिसर ओम प्रकाश कुमावत, राम लखन, देवेंद्र मित्तल और ऋचा गुप्ता को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डॉ तल्हा साद, डॉ रमेश पांडेय, डॉ प्रवीण खरे, डॉ अमर गंगवानी, डॉ सत्येन्द्र उईके, डॉ अंजलि वीरानी समेत बड़ी संख्या में स्टाफ और स्टूडेंट मौजूद रहे। ब्यूरो रिपोर्ट सागर टीवी न्यूज