नर्मदा के इस तट पर सृष्टि रचयिता ब्रह्मा ने की थी शिव आराधना, मकर संक्रांति पर दर्शन करने से होती हर मनोकामना पूरी
मकर संक्रांति पर नर्मदा नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है और इसी नदी के बरमान घाट का महत्व और भी अधिक है क्योंकि इसी जगह को सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा की तपोभूमि भी कहा जाता है स्कंद पुराण के अनुसार यह स्थान पौराणिक काल में अत्यंत सुंदर और प्राकृतिक सौंदर्य से पूर्ण था
जिसके कारण ब्रह्मा को नदी के बीच बने टापू ने तपोभूमि बनाने के लिए आकर्षित किया, ब्रह्मा ने यहां तपस्या के साथ यज्ञ भी किया इसीलिए इसका नाम बरमान घाट या ब्रह्मांड घाट भी कहा जाता है यहां नर्मदा में स्नान कर ब्रह्म कुंड का दर्शन करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है.
यहां पर सदियों से मकर संक्रांति के अवसर पर ऐतिहासिक और पौराणिक मेला लगता आ रहा है इस बार इस मेले का उद्घाटन
मध्य प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री पहलाद पटेल राज्यसभा सांसद कैलाश सोनी स्थानीय भाजपा विधायक विश्वनाथ सिंह पटेल के साथ भाजपा जिला अध्यक्ष ने किया, इस दौरान मां नर्मदा की पूजन अर्चन के पश्चात इस ऐतिहासिक मेले का विधिवत शुरुआत हुई इस कार्यक्रम में प्रहलाद पटेल ने कहा कि हम सभी मां नर्मदा का
विधिवत पूजन करने आए हैं और मां से प्रार्थना की है यह मेला हमारी सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण स्थान है यहां पौराणिक महत्व का बारह मंदिर जो 14वीं शताब्दी का है ऐतिहासिक रानी दुर्गावती किला सहित यह स्थान है जहां स्वयं ब्रह्मा ने तपस्या कर सृष्टि की रचना की शुरुआत की थी आधुनिक युग में इस चकाचोध के बावजूद भी ब्रह्मांड घाट का यह मेला अपनी गरिमा के साथ भरता है
यह मेला मां नर्मदा के इस पवित्र तट पर मकर संक्रांति से शुरू होकर नर्मदा जयंती तक चलता है जिसमें मध्य प्रदेश के अलावा दूसरे प्रदेशों से भी भक्तों के अलावा व्यापार करने के हिसाब से व्यापारी अपने प्रतिष्ठान लगते हैं