देश में जेंडर चेंज के बाद पहली शादी अलका से अस्तित्व बना शख्स,3 दिन बाद फेरे भी लेंगे
मध्य प्रदेश के इंदौर में पहली बार महिला से पुरुष बने युवक (अस्तित्व) ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत आस्था नाम की युवती से शादी की। गुरुवार को कोर्ट मैरिज में दोनों परिवारों के 25 लोग शामिल हुए। सुप्रीम कोर्ट द्वारा ट्रांसजेंडर्स विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने के बाद विवाह का ये पहला मामला है। 11 दिसंबर को वे दोनों रीति-रिवाज से सात फेरे भी लेंगे।
दरअसल, अलका सोनी को जन्म के कुछ सालों में यह एहसास हुआ कि नारीत्व उसके लिए नहीं है। उसने पुरुषों की तरह रहना शुरू कर दिया। उसने पिछले साल 47वें जन्मदिन पर सर्जरी करवाकर जेंडर (स्त्री से पुरुष) चेंज करवा लिया और अपना नाम अस्तित्व रख लिया। अस्तित्व का कहना है कि मैंने शुरू से ही अपनी अर्धांगिनी का नाम आस्था सोच रखा था और वही नाम उसे दिया है। हम दोनों इस शादी से बहुत खुश हैं।
जानिए परिणय सूत्र में बंधने के लिए कैसे एक दूसरे के करीब आए अस्तित्व और आस्था
अलका की बहन की सहेली है आस्था। उसे इस बदलाव के बारे में शुरू से ही जानकारी थी। आस्था की अस्तित्व से 5-6 महीने पहले बातचीत शुरू हुई। आस्था का कहना है कि हमने बहुत विचार करने के बाद शादी करने का निर्णय लिया। दोनों परिवारों को भी हमारे इस फैसले से कोई समस्या नहीं थी।
हम दोनों ने अपर कलेक्टर रोशन राय को अपनी स्थिति समझाते हुए विवाह का आवेदन दिया। हमारे फार्म को अपर कलेक्टर ने 2-3 दिन परीक्षण करने के बाद स्वीकार किया। दोनों पक्षों को नोटिस भेजे गए। गुरुवार को वर-वधू पक्ष के दो-दो गवाह और एक संयुक्त गवाह की मौजूदगी में हम दोनों ने शादी कर अपना मैरिज सर्टिफिकेट लिया।
अस्तित्व बोले-पत्नी और बच्चों के नाम पहले से सोच रखे थे
इंदौर की अलका सोनी ने पिछले साल अपना जेंडर चेंज करवाया था। साथ ही जल्दी ही विवाह करने की बात कही थी। अस्तित्व का कहना है कि शादी के लिए मैंने बहुत सपने संजोये थे। यहां तक कि यह भी सोच रखा था कि पत्नी व बच्चों के क्या नाम रखूंगा। वे इस शादी को एक संयोग मानते हैं। आस्था का असली नाम ऋतु है। वह इंदौर की रहने वाली हैं। दोनों की दोस्ती मेरी बहन के माध्यम से हुई थी। दरअसल, अस्तित्व की बहन एस्ट्रोलॉजर है और उन्हीं के ऑफिस में ऋतु एडमिनिस्ट्रेशन संभालती हैं। यहीं से दोनों में करीब छह महीने पहले बातचीत शुरू हुई। फिर दोनों के विचार मिलने लगे और शादी करने का फैसला लिया।
एडीएम रोशन राय से शादी का सर्टिफिकेट लेते अस्तित्व और आस्था।
आस्था व उसके परिवार को कोई आपत्ति नहीं
अस्तित्व का कहना है कि मैंने और मेरे परिवार ने अपने बारे में सब कुछ बता दिया था। इसे लेकर आस्था और उसके परिवार को कोई आपत्ति नहीं थी। यह विवाह अभी रीति रिवाजों के साथ भी होना है। लेकिन इसके पहले कानूनी मान्यता जरूरी थी। देश में कई ट्रांसजेंडर्स के विवाह हिन्दू रीति-रिवाज से हुए हैं, लेकिन जेंडर बदलकर विवाह करने का यह अपने आप में पहला मामला है।
11 दिसंबर को वैदिक पद्धति से होगा विवाह
अस्तित्व ने बताया कि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत कोर्ट में मैंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी दी। इसमें विवाह को कानूनी मान्यता देने का उल्लेख है। चूंकि इसमें समय लगने का अंदेशा था और मल मास भी लगने वाला है। दूसरी ओर परिवार के लोगों में जल्द शादी करवाने को लेकर काफी उत्साह है। कहीं स्पेशल मैरिज एक्ट में शादी करने के लिए बहुत ज्यादा समय न लगे, इसलिए हमने 11 दिसंबर को रीति-रिवाज से शादी करने के लिए एक होटल में बुकिंग भी कर ली। आस्था ब्राह्मण परिवार से है जबकि अस्तित्व सुनार जाति के हैं।
परिवार ने आरती उतारी, मुंह मीठा किया
अस्तित्व के परिवार में माता-पिता व दो बहनें हैं। दोनों बहनों की शादी हो चुकी है। पिता की सराफा में दुकान है, जबकि अस्तित्व का प्रॉपर्टी संबंधी व्यवसाय है। आस्था के पिता नहीं हैं, जबकि मां हाउस वाइफ हैं। गुरुवार को घर आते ही दोनों का धूमधाम से स्वागत हुआ। अस्तित्व के परिवार ने नई दुल्हन की मुंह दिखाई की रस्म निभाई, आरती उतारी और मुंह मीठा किया। अस्तित्व का कहना है कि जो गुण पुरुषों में होते हैं मैंने उन्हें हमेशा महसूस किया है। आस्था ने भी मुझ में वे गुण देखे और स्वीकारा।