दीपावली से मां लक्ष्मी होती है 11 दिन विराजमान ! दर्शन के लिए पहुंचते है श्रद्धालु
सागर. कृष्ण पक्ष की अमावस्या से कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तक दीपोत्सव का पर्व मनाया जाता है. बुंदेलखंड में महालक्ष्मी महा महोत्सव की अलग और अनोखी परंपरा देखने को मिलती है. जहां माता दूसरों की अष्टधातु की प्रतिमा विराजमान की जाती है और 11 दिनों तक पूजन अर्चन करने के बाद जलाभिषेक किया जाता है और फिर भगवान विष्णु (विठ्ठल) जी मन्दिर में विराजमान कर देते हैं.
दरअसल सागर जिले की रहली में पिछले 16 सालों से पंढरी नाथ क्षेत्र में माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित की जाती है पहले यह मूर्ति मिट्टी की हुआ करती थी और इसे दुर्गा प्रतिमा की तरह नदी में विसर्जित कर दिया जाता था लेकिन फिर क्षेत्र वासियों के सहयोग से अष्टधातु की 5 फीट ऊंची मूर्ति निर्मित कराई गई माता लक्ष्मी इसमें लाल कमल के फूल पर विराजमान है. उनके हाथों से लक्ष्मी निकालकर सामने रख घड़ी को भर रही है 11 दिनों तक यहां पर भव्य उत्सव के रूप में मनाया जाता है. महोत्सव के आखिरी दिन नगर भ्रमण कराया जाता है और फिर शादी का वितरण होता है.
दूसरे प्रदेशों से भी श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं आयोजन की व्यवस्थापक चंद्रशेखर बताते हैं कि पंढरीनाथ क्षेत्र भगवान विष्णु के लिए प्रसिद्ध है और माता लक्ष्मी धन की देवी है विष्णु के इलाके में धन की देवी की आराधना हो सके ताकि क्षेत्र की उन्नति और समृद्धि दिन पर दिन बढ़ती जाए लोग पूजन अर्चन कर सके इसके लिए कुछ साल पहले छोटे से रूप में लक्ष्मी उत्सव की शुरुआत की थी. लेकिन जब लोगों को इसके बारे में पता चला तो श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती गई. अब दूसरे प्रदेश से भी लोग इसमें शामिल होने के लिए आते हैं. पिछले साल यहां पर महाभारत का फेमस किरदार श्री कृष्णा का रोल निभाने वाले नितीश भारद्वाज भी लक्ष्मी महोत्सव में शामिल होने के लिए आए थे.
बड़ी संख्या में नगर के लोग शामिल होते अभी यहां पर रोजाना भव्य और दिव्य आरती की जा रही है जिसमें सैकड़ो की संख्या में लोग शामिल होते हैं वही जिस तरह से दुर्गा उत्सव में पंडाल सजाए जाते हैं गलियों में रंग बिरंगी लाइट लगाई जाती है ठीक उसी तरह का कार्यक्रम यहां पर लक्ष्मी महोत्सव के रूप में किया जा रहा है.