सागर- बंगाली काली की विदाई से पहले सिंदूर खेला की अनोखी परंपरा
सागर के बंगाली महाकाली मंदिर में पंचमी को विराजमान हुई महिषासुर मर्दिनी का विजयदशमी को विसर्जन किया गया इससे पहले बंगाली रीति रिवाज और नियमों के अनुसार उनका अंतिम विदाई दी गई बंगाली समाज की महिलाओं के द्वारा माता को विदाई देने के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं
ताकि माता की कृपा उन पर उनके परिवार पर हो सुख समृद्धि आए बता दें कि जिन महिलाओं के द्वारा माता के लिए विदाई दी जाती है उनका विशेष परिधान साड़ी होता है साड़ी लाल और सफेद रंग की होती है इसे पहनकर ही माता की पूजा अर्चना की जाती हैं. पूजा अर्चना करने के लिए सिंदूर पान मिठाई अपने घर से लाते हैं. जिसमें हर महिला के द्वारा माता की विशेष पूजा की जाती है उन्हें सिंदूर लगाकर वापस अपने पास रखती हैं. इसी तरह से पान चढ़ाते हैं फिर मिठाई का भोग लगाते हैं.
इस दौरान बंगाली महिलाओं के द्वारा माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उलूक ध्वनि भी की जाती है. जब सभी महिलाएं बड़ी-बड़ी से माता का पूजन अर्चन कर लेती हैं तो इसके बाद एक दूसरे को सिंदूर लगाती हैं. जैसे सिंदूर खेला कहा जाता है.
महाकाली मंदिर के पुजारी जय चक्रवर्ती बताते हैं कि यहां पर जो माता को विराजमान किया जाता है हर काम पंचांग के समय अनुसार मिनट टू मिनट किया जाता है माता को जो अंतिम विदाई दी जा रही है उसमें महिलाओं के द्वारा यह विशेष पूजन बंगाली नियमों के हिसाब से किया जाता है उन्होंने बताया कि पान मिठाई और सिंदूर शुभ होते हैं सौभाग्यवती महिलाओं के प्रतीक होते हैं इसलिए इस तरह का पूजन अर्चन किया जाता है