सागर- कभी थामते थे तमंचे, अब उन्हीं हाथों से खादी बुनकर पुलिस की वर्दी, नेताओं के कुर्ते होरहे तैयार

 

एमपी के सागर में कभी अपराध की दुनिया में अपनी धमक जमाने वाले लोग अब हथकरघा में खादी बुनकर बापू के सपनों को साकार कर रहे हैं. यह कैदी कपड़ों से पुलिस की वर्दी, कुर्ते पायजामे, साडिया, दरी, टॉवल, चादर, टोपी जैसी चीज तैयार कर रहे है. इसके लिए कैदियों को अलग-अलग तरह के काम सौंप गए हैं।

 

बताया जा रहा है कि कुछ कैदियों को कच्चे माल के रूप में धागा प्राप्त होता है. पहले उसकी कटाई करते हैं फिर उसे हथकरघा पर ले जाकर कपड़ा तैयार करते हैं. इसके बाद इस कपड़े को सिलाई करने वाले दूसरे कैदियों के पास भेजा जाता है. जहां ऑर्डर के अनुसार पुलिस की वर्दी ,कुर्ते पजामी या अन्य तरह के कपड़े तैयार कर दिए जाते हैं. जेल में करीब 1600 सजा याफ्ता बंदी है जो जेल में ही यह सारी सामग्री तैयार करते है।

 

गौरतलब है कि सागर केंद्रीय जेल संभाग की इकलौती ऐसी जेल है जहां में हथकरघा का काम कैदियों द्वारा किया जाता है इस केंद्रीय जेल के तहत आने वाले दो जिला जेल सहित आठ उप जेलों में भी यही से कपड़ा की सप्लाई की जाती है. वहीं दूसरे विभागों से आर्डर मिलते हैं तो उनकी भी पूर्ति की जाती है। महिला बंदियों के लिए साड़ियां तैयार होती हैं. बता दें कि जेल के अंदर करीब 70 कैदियों के द्वारा हथकरघा पर काम किया जा रहा है.

 

एक दिन में वह अधिकतम 7 घंटे काम करते हैं जिसमें करीब 5 मीटर तक का कपड़ा बना लेते हैं कैदी बताते हैं कि वह यह काम करके 4000 तक का महीना कमा लेते हैं. इस संबंध में केंद्रीय जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे बताते हैं कि जेल का जो उत्पादन सह प्रशिक्षण केंद्र है. इसमें जेल में जिस सामग्री का उपयोग होता है जैसे बंदी के वस्त्र, चादर, दरी, दोना पट्टी हैं बनाते हैं और इसको जेलो में भेजते हैं.


By - sagar tv news
07-Oct-2023

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