सागर-विद्युत रोशनी से जग में गजानंद का प्रवेश द्वार 151 छतरियां से सजा दरबार देखिए कहां है यह झांकी
गजानंद का प्रवेश द्वार 151 छतरियों से सजा बना आकर्षण का केंद्र सागर-विद्युत रोशनी से जग में गजानंद का प्रवेश द्वार 151 छतरियां से सजा दरबार देखिए कहां है यह झांकी
इस समय पूरे देश में गणेश महोत्सव की धूम है। जगह-जगह भगवान गणेश की आकर्सक प्रतिमाएं विराजमान की गई हैं। ऐसी एक आकर्सक प्रतिमा एमपी के सागर के पंतनगर में भगवान गणेश राजा के स्वरूप में विराजमान हैं। उनके पीछे भगवान विश्वनाथ नंदी के साथ खड़े हैं। इस अद्भुत झांकी को जो भी देखता है वह बस देखते ही रह जाता है। बताया जा रहा है कि यहां पर श्री बाल गणेश उत्सव कमेटी के द्वारा पिछले 74 सालों से भगवान गणेश जी प्रतिमा विराजित कराने की परंपरा चली आ रही हैं।
जो हर बार अलग स्वरूप में होती है। इस बार 75 साल पूरे होने पर यहां पर भारी सजावट की गई है. पंडाल तो भव्य सजाया ही गया है, सड़क पर भी दूर तक सजावट की गई है. यहां पर करीब 150 पानी वाली छतरी लटका कर आकर्सक डेकोरेशन किया गया है, जो श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना है. श्रद्धालुओं की यहां काफी भीड़ लगी रहती है। बताया जा रहा है कि पंडाल के अंदर आने पर श्रद्धालुओं को चंदन लगाया जाता है. वहीं बगैर प्रसाद के किसी को जाने नहीं दिया जाता. रोजाना कमेटी द्वारा अलग-अलग तरह का प्रसाद तैयार कराया जाता है. साथ ही यहां पर होने वाली संध्या आरती को भजन मंडली के द्वारा ही किया जाता है. पूरे संगीत के साथ आरती उतारी जाती है. यहां पर राजा के स्वरूप में विराजमान गणपति बप्पा को लेकर कहा जाता है कि गणेश रिद्धि और सिद्धि के दाता हैं. रिद्धि-सिद्धि को प्रसन्न करने के लिए भगवान गणेश की पूजा की जाती है, इसलिए उन्हें राजा कहा जाता है. सभी देवताओं में प्रथम पूज्य भगवान गणेश हैं. इसलिए भी उन्हें राजा कहा जाता है. सभी गणों के अधिनायक हैं, इसलिए इनका नाम गणेश है.