अस्पताल और कम खर्च से कैसे बचे डॉक्टरों ने दी सलाह
बुनियादी तौर पर प्रीऑपरेटिव चरण में विभिन्न घटक शामिल होते हैं, जैसे प्रीएडमिशन मरीज़ की काउंसलिंग, तरल पदार्थ और कार्बाेहाइड्रेट लोडिंग आदि इन सभी से मरीज़ के जल्द ठीक होने में मदद मिलती है और उसके हॉस्पिटल में कम समय रुकने की जरूरत होती है।
इससे मरीज़ के इलाज में खर्चा भी कम हो जाता है और साथ ही इन्फेक्शन की संभावना भी काफ़ी कम हो जाती है। यह विचार डॉ एचएस सैनी ने व्यक्त किए। वे सागर की शासकीय बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में व्यक्त किए।
मेडिकल एजुकेशन यूनिट और इंडियन सोसाइटी ऑफ़ एनेस्थीसिया और फ़ॉग्सी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी में अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस मौके पर डॉ तल्हा साद, डॉ जयश्री चौकसे, डॉ सर्वेश जैन, डॉ अरुण दवे, डॉ नीना गिड्डयन, डॉ जागृति किरण, डॉ प्रियंका तिवारी , डॉ आर डी ननहोरिया,डॉ डी के पिप्पल आदि मौजूद थे।