सागर-अद्भुत कृष्ण वट, कान्हा ने छुपाया था माखन, भगवान के स्पर्श से कटोरी-चम्मच जैसे उगते हैं पत्ते
एमपी के सागर जिले में एक दुर्लभ अलौकिक कृष्ण बट लगा हुआ है, कहा जाता है की भगवान ने इसी पेड़ पर बैठकर इसको पत्तो में माखन छिपाया था, तब से इसके पत्ते कटोरीनुमा और चम्मचनुमा है यानि की भगवान के हाथों के स्पर्श इस पेड़ का पत्ता पत्ता उन्ही को समर्पित हो गया,
इसलिए इसे कृष्ण वट कहा जाता है, कृष्णाई वटवृक्ष का वैज्ञानिक नाम भी भगवान श्री कृष्ण के नाम पर ही फाइकस कृष्णाई रखा गया है.सागर विश्वविद्यालय के वनस्पति गार्डन में इसे संरक्षित किया गया है. पिछले 65 सालों से यह मौजूद है.
धार्मिक मान्यता है कि माखन चोरी की लीलाओं के दौरान माता यशोदा की डांट से बचने, गोपियों का माखन चुराकर बाल कृष्ण ने इसी वटवृक्ष के पत्तों में माखन रखकर उन्हें लपेट दिया था. जिसके बाद से इसके पत्ते भगवान के स्पर्श से कटोरी-चम्मच की तरह ही उगते हैं.
यह पेड़ आज भी भगवान कृष्ण के ओर से द्वापर युग में की गई बाल लीलाओं का प्रत्यक्ष प्रमाण है, सागर विश्वविद्यालय के वानस्पतिक शास्त्र के विभाग अध्यक्ष प्रोफ़ेसर दीपक व्यास बताते हैं कि यह एक बेहद दुर्लभ वृक्ष है और इसे धार्मिक मान्यताओं में अलग-अलग किवदंती होती है, जिसके चलते इसका नाम कृष्ण बट भी है.
भागवत आचार्य शिवम शास्त्री महाराज के अनुसार, कृष्णवट एक पवित्र वृक्ष है, और आज भी हमारे सागर में मौजूद है. कृष्ण जन्माष्टमी के दिन दर्शन करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है. माता यशोदा ने इसी कृष्णवट के नीचे ही कान्हा को मक्खन-दही और मिश्री में खिलाया था. यह एक दुर्लभ और पवित्र वृक्ष है.