MP चुनाव 2023:क्या सोच कर BJP ने जारी की पहली सूची ,बुंदेलखंड की हारी सीटों पर BJP ने खेला ये दांव
बीजेपी ने इस बार मध्यप्रदेश में चुनाव से काफी पहले अपने 39 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए। इसके पीछे बड़ी वजह है यहां के प्रत्याशियों को तैयारी करने के लिए ज्यादा समय मिलेगा ।पहली घोषित सूचि में बुंदेलखंड की 5 सीटें शामिल हैं। जिसमे सागर जिले की बंडा विधानसभा, छतरपुर जिले की 2 विधानसभा महाराजपुर और छतरपुर पन्ना जिले की गुन्नौर और दमोह जिले की पथरिया विधानसभा है। दरसअल इन पांचो सीट पर बीजेपी पिछला विधानसभा हार गयी थी। इसलिए रणनीति बनाकर सीटें जीतने कदम बढ़ाया है। बुंदेलखंड के घोषित प्रत्याशियों से ये भी साफ हो गया है की भाजपा ने जातिगत समीकरण पर जोर दिया है।
बात अगर सागर जिले की बंडा सीट की कि जाय तो यहाँ से वीरेंद्र सिंह लोधी को टिकट दिया है। यहां पर सबसे ज्यादा करीब 20 प्रतिशत लोधी मतदाता हैं। वीरेंद्र सिंह के पिता स्वर्गीय शिवराज सिंह यहां से सांसद भी रह चुके हैं। पिछली बार यहाँ से तरवर लोधी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे। इसलिए इस बार बीजेपी ने लोधी वार्सिस लोधी का दाव खेला है
वही छतरपुर से पूर्व मंत्री ललिता यादव को टिकट दिया है। इस सीट पर ओबीसी वोट बैंक निर्णायक साबित होता है। ललिता यादव यहां से दो बार विधायक और दो बार नगर पालिका अध्यक्ष रह चुकी हैं। पिछले चुनाव में ललिता यादव को बड़ा मलहरा से टिकट दिया था। इससे ललिता वहां से चुनाव हार गईं और छतरपुर भी हाथ से निकल गई थी। इस बार भाजपा ने उन्हें वापस छतरपुर लाकर भूल सुधारी है।
इसके साथ छतरपुर जिले की महाराजपुर सीट पर पूर्व मंत्री मानवेंद्र सिंह के पुत्र कामाख्या प्रताप सिंह को टिकट देकर ठाकुर वोट बैंक पर फोकस किया है। चूंकि ठाकुर बहुल हरपालपुर क्षेत्र बिजावर से अलग होकर महाराजपुर सीट में शामिल है। मानवेंद्र सिंह बिजावर से 2 बार विधायक रहे हैं। ठाकुर वोट पर उनकी पकड़ अच्छी है।
इसके अलावा दमोह जिले की पथरिया सीट पर सबसे ज्यादा मतदाता कुर्मी पटेल हैं इसलिए लखन पटेल को यहां से फिर मौका दिया गया है. लखन पटेल पिछला चुनाव बसपा की राम बाई से 2205 वोट से हार गए थे, इसकी बड़ी वजह पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया का निर्दलीय चुनाव लड़ना रहा उनके चुनाव लड़ने से कुर्मी पटेल वोट काट गए थे। अब कुसमरिया भाजपा में ही हैं। इसलिए उन्हें फिर मौका दिया गया। पन्ना जिले की गुन्नौर सीट पर पिछला चुनाव 1984 वोट से हारे राजेश कुमार वर्मा को भी फिर मौका दिया गया है। वे एक बार पहले भी यहां से विधायक रह चुके हैं।
बीजेपी ने इन पांचो सीटों पर जातिगत समीकरण, प्रभाव, नयी रणनीति गलती में सुधार और तैयारी के लिए ज्यादा समय मिल सके इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर प्रत्याशियों की घोषणा की है. अब बीजेपी की 5000 से कम हार-जीत वाली सीटों पर भी नजर है इन सीटों को हासिल करने के लिए टिकट भी बदले जा सकते हैं और परिवारवाद व हारे हुए प्रत्याशी जैसी गाइड लाइन को भी नजरअंदाज किया जा सकता है।