सागर-किन्नर निभाते हैं ताजिए की रस्म-रिवाज सदियों से चली आ रही है यह परंपरा | sagar tv news |
मोहर्रम का इस्लाम में बडा महत्व है। मोहर्रम इस्लामिक कैलेंडर हिजरी संवत का पहला महीना होता है,जिसे शहादत के तौर मनाया जाता है। मोहर्रम के 10 दिन तक पैगम्बर मुहम्मद साहब के वारिस इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत का शोक मनाया जाता है।
मोहर्रम के महीने के शुरूआती दस दिन लोग रोजा रखते हैं,जिसे आशुरा कहा जाता है। मोहर्रम पर ताजिया सजाकर शहादत को याद किया जाता है और अमन और शांति का पैगाम दिया जाता है। सागर में किन्नर कई सालों से मोहर्रम पर ताजिया बनाने की परम्परा को निभा रहे है और ये परम्परा आज भी जारी है।
समय के साथ ताजिया में बदलाव आए है।पहले बांस और कागज से तैयार किया जाने वाला ताजिया अब थर्माकोल से तैयार होने लगा है। लेकिन शहादत के प्रति सम्मान का भाव आज भी कायम है।
किन्नर गुरु किरण बुआ बताती हैं कि यह सनातों से परंपरा चली आ रही है, इसे हमारे गुरु स्वर्गीय किन्नर कमला बुआ ने कायम रखा तो वही उनके जाने के बाद हम लोग भी उन्ही रस्मो को निभा रहे है,