सागर-बेटे की शहादत के बाद इस घर में रुकी थी चंद्रशेखर आजाद की मां
क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की मां जगरानी देवी सागर के इस घर में रुकी थी
सागर-बेटे की शहादत के बाद इस घर में रुकी थी चंद्रशेखर आजाद की मां
खाने को दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष पहने के लिए ढंगे की कपड़े नहीं कंडे बेचकर पैसे जुट पाते थे, उन्हीं से घर का खर्च चलता था.ये कहानी किसी सामान्य आदमी का नहीं, बल्कि देश की आजादी के लिए अपनी जान न्यौछावर कर देने वाले क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की मां जगरानी देवी के हैं. आपको ये जानकर हैरानी होगी देश को आजादी मिलने के दो वर्ष बाद भी उनकी यही स्थिति बनी रही. सरकार ने उनका बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया.
उनके इन हालातों को देखकर चंद्रशेखर आजाद के साथी और उनके सबसे विश्वस्थ सदाशिव राव मलकापुरकर जगरानी देवी के जीवन के आखिरी सालों में सागर जिले के रहली में स्थित अपने घर ले आए थे. यहां वो अपने मां की तरह उनका ख्याल रखते थे. उनके इच्छा के अनुसार तीर्थ करवाए और जब स्वास्थ्य बिगड़ गया तो फिर झांसी ले जाकर करीब 1 साल तक इलाज कराया. जहां पर उनका निधन हो गया था. इसके बाद झांसी के बड़ा गेट के पास ही उनका अंतिम संस्कार सदाशिव राव मलकापुरकर के द्वारा किया गया था.
सदाशिव राव मलकापुरकर के 70 वर्षीय भतीजे हेमंत राव मलकापुर कर बताते हैं कि चंद्रशेखर आजाद की मां को उनके चाचा झाबुआ से रहली लेकर आए थे.साल 1948 -49 में जगरानी देवी यहीं पर रुकी थी जहां काला पानी की सजा काट चुके शंकरराव और सदाशिवराव ने उनकी सेवा की. हेमंत राव ने बताया कि साल 1929 में सदाशिव राव मलकापुर कर को लाहौर षड्यंत्र केस में मुखबिर फड़ैंद्रनाथ घोष एवं जय गोपाल पर सेशन कोर्ट जलगांव में गोली चलाने एवं भुसावल बम कांड में 15 साल काला पानी की सजा सुनाई थी.
इसी मामले में शंकर नाथ मलकापुर कर को भी सजा सुनाई गई थी. सजा काटने के बाद वह जेल से बाहर आए और फिर कुछ समय बाद उन्हें चंद्रशेखर की मां की याद आई तो वह पता लगाते हुए झाबुआ पहुंच गए थे, जहां अपने क्रांतिकारी साथी के शहीद होने के बाद मां की हालत को देख वह रो पड़े थे. बता दें कि जिस घर में महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की मां जगरानी देवी रुकी थी वह घर आज भी रहली के नदी मोहल्ला में स्थित है जहां पर सदाशिव राव के भतीजे हेमंत राव मलकापुर कर रहते हैं.