सागर-जैन संत ने बताया आखिर चातुर्मास बारिश के मौसम में ही क्यों किया जाता
बारिश मौसम में ही चातुर्मास क्यों करते है जैन संत जानिए
सागर-जैन संत ने बताया आखिर चातुर्मास बारिश के मौसम में ही क्यों किया जाता
दिगम्बर साधू अपनी साधना और तपस्या निज कल्याण के साथ जग कल्याण के लिए भी करते हैं। उनकी साधना के बल पर ही उनकी कठिन चर्या होती है। और यही कठिन चर्या ही दिगंबर साधू का स्वरूप है, यह बात तिलक गंज जैन मंदिर परिसर में परम पूज्य आचार्य उदार सागर जी महाराज ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहीं। इस दौरान नगर के विभिन्न पत्रकारों ने उपस्थित रहकर आचार्य श्री से प्रश्न किए, जिनके उत्तर देते हुए आचार्य श्री ने जैन धर्म दिगंबर स्वरूप और उनकी साधना को विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा यह जो वर्षा कालीन चातुर्मास संपन्न होता है इसके पीछे का आध्यात्मिक कारण यह है कि वर्षा ऋतु में अत्याधिक सूक्ष्म जीव उत्पन्न हो जाते हैं, और दिगंबर साधु हमेशा पग विहार करते हैं। पग विहार करते समय सूक्ष्म जीवों की हिंसा ना हो इस कारण साधु 4 महीने एक स्थान पर रहने का संकल्प धारण करते हैं और अपनी साधना करते हैं। यही चातुर्मास अवधि है। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि साधना की शक्ति बढ़ते हुए क्रम में होती है। इसमें आत्मा की परीक्षा होती है। पहले एक बार फिर दो और फिर धीरे-धीरे यह क्रम बढ़ता चला जाता है। अपनी चेतना को धर्म से जोड़ा जाता है। परमेश्वर के प्रति अटूट आस्था और अपनी चर्या के पालन में भौतिकता का बोधी नहीं होता। सिर्फ हम अपनी आत्मा में एक लक्ष्य धारण किए होते हैं