Tiger State मध्यप्रदेश में आखिर क्यों नहीं थम रहा बाघों की Death सिलसिला ! || SAGAR TV NEWS ||
एमपी के पन्ना टाइगर रिज़र्व में बाघों की असमय हो रही मौतों के बाद टाइगर रिज़र्व प्रबंध पर सवालिया निशान खड़े हो रहे है। महज 10 दिनों के अंतराल में पन्ना टाइगर रिजर्व के सेटेलाइट कॉलर वाले दो युवा बाघों की मौत ने सेटेलाइट कॉलर लगाने के औचित्य और मॉनिटरिंग व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किये हैं। 10 नवंबर को पन्ना टाइगर रिजर्व की युवा बाघिन पी-213 (63) कोर क्षेत्र से लगे अमानगंज बफर के रमपुरा बीट में मृत पाई पाई गई। तीन साल की यह बाघिन गर्भवती भी थी, जिसके दो शावक जन्म से पहले ही मां की मौत के साथ खत्म हो गए। इसके पहले पन्ना के युवा नर बाघ "हीरा" का सतना जिले के जंगल में शिकार हो गया था। इस तरह से बाघों की हो रही असमय मौतों ने वन्यजीव प्रेमियों को जहां विचलित कर दिया है। वहीं बाघों की सुरक्षा और मॉनिटरिंग व्यवस्था पर भी सवाल उठने लगे हैं। 10 नवंबर को हुई बाघिन के मौत के ममले में संचालक उत्तम कुमार शर्मा के मुताबिक उन्हें कहीं भी शिकार और अवैध गतिविधि के कोई साक्ष्य नहीं पाए गए। शायद उसका शिकार हुआ ही हालांकि जांच रिपोर्ट आने पर ही मौत की असल वजह का पता चल सकेगा। पन्ना टाइगर रिज़र्व में ही अकेले बीते डेढ़ साल में तीन बाघिनों की हुई मौत हुई है। इसमें सबसे चहेती बाघिन पी- 213 का शव भी शामिल है। इस पर चिंता जाहिर करते हुए राज्य वन्य प्राणी बोर्ड के पूर्व सदस्य हनुमंत सिंह रजऊ राजा ने बताया कि 3 साल की गर्भवती बाघिन की मौत बहुत बड़ी क्षति है। बीते साल रेडियो कॉलर वाली बाघिन पी- 213 की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई थी, जिसका सड़ा-गला शव पन्ना कोर क्षेत्र के तालगांव सर्किल में मिला था। उस लोग पन्ना की रानी कहकर पुकारते थे। बाघिन पी 213 की बेटी पी- 213 (32) की भी मौत इसी तरह संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थी।