जोमैटो के ब्रांड बनने की कहानी

नमस्कार में अंजलि मिश्रा आज आपको एक ऐसी ब्रांड की स्टोरी बताने जारही हू जो एक जिन की तरह मिंटो में आपके सामने खाने की लाइन लगा देता है कारन अर्जुन खाएंगे। प्यार एक ढोकला है। क्या भात है। जोमैटो के ऐसे नोटिफिकेशन आपको खाना आर्डर करने के लिए आसानी से मजबूर कर सकते है आज की ब्रांड स्टोरी में बात करेंगे जोमैटो की।

दीपिंदर गोयल के ऑफिस कैंटीन से लंच टाइम था तो लम्बी लाइन लगती और लम्बी लाइन में धक्का-मुक्की होती। ऑफिस कैंटीन के इस हाल ने IIT दिल्ली से पढ़े दीपिंदर गोयल के दिमाग में एक आइडिया आया। और उन्होंने अपना आईडिया अपने साथ काम करने वाले पंकज चड्ढा से शेयर किया। आईडिया था अपने ऑफिस के मेन्यू को ऑनलाइन वेबसाइट पर डालना कॉन्सेप्ट पॉपुलर हुआ और दोनों दोस्तों ने उसी साल 2008 में ही फूडीबे लॉन्च कर दिया। फूडीबे नाम की वेबसाइट में दिल्ली-एनसीआर के रेस्टोरेंट और उनके मेन्यू कार्ड की लिस्टिंग होती थी इससे लोकेशन के साथ हे फ़ूड आइटम्स की जानकारी मिलजाती थी 9 महीने बीते और अब फूडीबे दिल्ली-एनसीआर की सबसे बड़ी रेस्टोरेंट डायरेक्टरी बन गया था।
दीपिंदर और पंकज इस बात को समझ गए थे की फूडीबे का आईडिया चल पड़ा है लेकिन नाम थोड़ा कॉम्प्लिकेटेड था 2010 में इससे बदल कर इसे जोमैटो कर दिया। दिल्ली के बाद जोमैटो ने पहले देश में फिर विदेश में अपने पैर पसारे। उचाई के ट्रैक पर लगातार बढ़ रहे जोमैटो को धाका लागा 2015 में
जोमैटो को रेवेन्यू जुटाने के लिए संघर्ष करना पड़ा। कंपनी के खर्च कम करने के लिए एक बड़ी छंटनी हुई और करीब 300 कर्मचारी निकाल दिए गए। दीपिंदर गोयल ने अपना पूरा फोकस प्रोडक्ट को बेहतर बनाने पर लगाया। इसमें उनके नए साथी गौरव गुप्ता का साथ मिला। गौरव गुप्ता ने कंपनी के न्यूट्रीशन बिजनेस और ग्रॉसरी डिलीवरी को आगे बढ़ाया। पंकज चड्ढा ने जोमैटो गोल्ड और क्लाउड किचेन इनीशिएटिव शुरू किया। पंकज ने 2018 और गौरव ने इसी साल 2021 में जोमैटो छोड़ दिया है यही की एक बार फिर इस एक्सपरिमेंट को सुरु करने वाले दीपिंदर इससे चला रहे है।

 


By - sagar tv news
21-Sep-2021

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