गणेश चतुर्थी स्पेशल : अष्टकोणीय मंदिर में स्थापित "सागर के सिद्धि विनायक" || SAGAR TV NEWS ||
एंकर- सागर के लाखा बंजारा झील किनारे स्थित श्रीगणेश का रिद्धि सिद्धि के साथ अष्टकोणीय मंदिर बुंदेलखंड के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है, मराठाकाल में जमीन की खुदाई के दौरान प्रकट हुई, श्रीगणेश के की यह अद्वितीय चमत्कारिक प्रतिमा स्थापना के बाद से हर साल बढ़ती जा रही थी, जिसे देखते हुए सागर प्रवास पर आए शंकराचार्य ने एक अभिमंत्रित कील प्रतिमा के सिर पर ठोककर गणेशजी को बढ़ने से रोका था, जो आज भी प्रतिमा में देखी जा सकती है,
वि ओ- सागर के पुर व्याउ टोरी इलाके में स्थित श्री गणेश का अष्टकोणीय मंदिर भारत का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर हैं जो मुंबई के सिद्धि विनायक मंदिर की तरह है श्री गणेश मंदिर में पीले कपड़े में जनेऊ सुपाड़ी नारियल रखने से सभी की मनोकामनाएं पूरी होती है, दूर दूर से श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शनों के लिए आते हैं पुजारी गोविंदराव आठले ने बताते है कि मराठाकाल में यहां जमीन की खुदाई के दौरान भगवान श्रीगणेश की यह प्रतिमा निकली थी,जिन्हें उनके पिता शंकरजी के साथ विराजमान किया गया था, मंदिर निर्माण का कार्य वर्ष 1603 से शुरू हुआ, महाराष्ट्र से आए कारीगरों को यह अष्टकोणीय मंदिर तैयार करने में लगभग 35 साल लग गए थे, वर्ष 1638 में इस मंदिर की स्थापना हुई और तब ही से यह पूरा क्षेत्र गणेशघाट के नाम से प्रसिद्ध है,