Madhav National Park के कारण 5 गाँव के ग्रामीण जूझ रहे विस्थापन से कई को अब तक नही मिला मुआवजा

एमपी के शिवपुरी में मुआवजा देने के 12 साल बाद भी खेती की जमीन व घर नहीं छोड़ने वाले ग्रामीण एक बार फिर विस्थापन के संकट से जूझ रहे हैं। बता दे की माधव राष्ट्रीय उद्यान के दायरे में 5 गांव आ रहे हैं।इन ग्रामों को बाघ बसाने के लिए उजाड़ा जा रहा है।ये ग्राम हैं लखनगवां अर्जुनगवाँ हरिनगर मामोनी-वर्धखेड़ा और डोंगरचक।इन ग्रामों में कुल 468 परिवार रहते हैं  जिनमें से 393 परिवारों को मुआवज़ा के रूप में 28 करोड़ रुपए मिल 2008 में मिल चुके हैं।174 परिवार स्वेच्छा से घर व जमीन छोड़ने को तैयार भी हैं।वहीं कुछ परिवार ऐसे भी हैं जिन्हें न मुआवजा मिला और न ही उनके नाम विस्थापितों की सूची में हैं।इसलिए कलेक्टर खुद वन अमले के साथ मौके पर पहुंचे और हकीकत को जानने की कोशिश की।
-इस सिलसिले में स्थानीय व विस्थापन के दंश से प्रभावित ग्रामीण का कहना है कि मुझे मरना मंजूर है,लेकिन जमीन नहीं छोडूंगा।इन्होंने 2004 की गाइड लाइन से मुआवजा तय किया,लेकिन दिया 2008 में।जबकि सरकार हर साल गाइड लाइन में राशि बढ़ाती है।मुझे मुआवजा मिल गया लेकिन मेरे भाई को नहीं मिला,उसका सूची में नाम ही नहीं है।
इस मामले में कलेक्टर संवेदनशील दिखाई दे रहे हैं।इसलिए वे हकीकत जानने के वन विभाग के आला अधिकारियों के साथ ग्रामों में पहुंचे और सच्चाई से रूबरू हुए।उन्होंने साफतौर से कहा कि टाइगर लाने के लिए चर्चा हो रही है।यह बात दफ्तर में बैठकर नहीं हो सकती है।


By - SAGAR TV NEWS
28-Jun-2021

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