बुंदेलखंड अंचल का एक ऐसा गांव जहां गोबर गैस से बनता है घरों में खाना अब नहीं कटते पेड़


बुंदेलखंड अंचल के टीकमगढ़ जिले का कांटी गांव जो जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर की दूरी पर है यहां की 95% आवादी कृषि पर निर्भर है। लोगों को रोजगार के लिए कृषि आधारित कार्य के साथ पशुपालन का काम करते है। पहले गांव के लोग पशुओं से निकलने वाले गोवर से कंडे बनाकर चूल्हे में उपयोग कर लकड़ी के साथ चूल्हा जलाकर खाना बनाते थे। जिससे बहुत परेशानी आती थी। लेकिन कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर कृषि विभाग ईफको के सहयोग से गॉव में गोवर गैस यूनिट की स्थापना कर गोवर गैस पर खाना बनाने का काम शुरू किया और धीरे धीरे पूरे गॉव के लोगों ने गोवर गैस सयंत्र लगाए जहां पर्यावरण को संरक्षित करने और पेड़ों की कटाई को रोकने के लिऐ नया तरीका निकाला है।
गांव की महिलाओं और कृषि वैज्ञानिक की की पहल पर खाना बनाने के लिऐ उपयोग में आने वाली लकड़ी की समस्याओं से निजात मिली कांटी गांव में पांच सालों में 165 गोबर गैस संयंत्र स्थापित की गयी गांव में लगभग 240 परिवार रहते है जो पशुपालन कर कृषि पर निर्भर है। यह परिवार पहले चूल्हे पर खाना बनाने के लिऐ पेड़ों की लड़की का उपयोग करते थे।

गोबर गैस सयंत्र से निकलने वाली सिलेरी का उपयोग किसान जैविक खाद के रूप में खेतो में डालकर अपनी फसलों के उत्पादन वृद्धि कर रहे है जिससे रासायनिक उर्बरकों के उपयोग में कमी आई है।
अब कांटी गांव की 80% महिलाएं गोबर गैस पर खाना बना रही है जिन्हें अब लकड़ी की जरूरत नहीं है। साथ ही कई समस्याओं और अस्थमा जैसी बीमारी होने का खतरा भी कम हो गया है।

बता दें कि कांटी गांव में लगभग 240 परिवार रहते है जिसमें से 165 परिवार गौबर गैस का उपयोग कर रहे है। जिन्हें एलपीजी गैस सिलेंडर की जरूरत नहीं पड़ती। पेड़ भी नहीं काटे जाते।
गांव में गोबर गैस सयंत्र लगाने के लिऐ कृषि विभाग और इफको की सहायता से निशुल्क बनवाये गये हैं। ग्रामीण इससे काफी खुश हैं।---------
सुनिए कृषि वैज्ञानिक डॉ आर के प्रजापति और कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. बी एस किरार का क्या कहना है।


By - SAGAR TV NEWS
06-Jun-2021

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