मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार करने कम पड़ी लकड़ियाँ, तो समूह की महिलाएं आई आगे
सागर जनपद के तहत आने वाले रेवंझा गांव की महिलाओं ने मिसाल पेश की है स्व सहायता समूह की महिलाओं ने मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार करने के लिए लकड़ी और कंडे दान करने का फैसला किया है बता दें कि कोरोना महामारी में आए दिन कई मौतें हो रही हैं जिसकी वजह से शमशान में अंतिम संस्कार करने के लिए लकड़ियों का आभाव रहता है इसी को देखते हुए स्व सहायता समूह की महिलाएं आगे आई हैं ताकि हर व्यक्ति का अच्छे से अंतिम संस्कार हो सकें।
पंचायत में संचालित गौशाला का संचालन स्थानीय आदिवासी और अनुसूचित जाति की महिलाओं के स्व सहायता समूह द्वारा की जाती है। इस गौशाला में करीब 85 गायों को रखा गया है। बड़ादेव महिला स्व सहायता समूह द्वारा इस गौशाला का संचालन किया जाता है महिलाएं अपने स्वाबलंबन से गौशाला में गायों की तो सेवा करती ही हैं इसके अलावा उनके दूध और गोबर से बनने ताले विभिन्न उगों के जरिए गौशालाओं का खर्च निकालती हैं। गायों के गोबर से बनने वाले उपले और लकड़ियां इनकी आमदनी का जरिया होती हैं। इसके अलावा गौशाला में ही वर्मी कम्पोस्ट और जैविक खाद से भी इनको कमाई होती है। कोरोना काल में जब इन महिलाओं ने देखा कि बड़े पैमाने पर हो रही मौतों के चलते मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार के लिए लकड़िया तक कम पड़ रही हैं। तब इन महिलाओं का मन द्रवित हुआ और इन महिलाओं ने अपनी कमाई छोड़कर मृतकों का अंतिम संस्कार अच्छे से हो सके, इसके लिए गौशाला में बनने वाले उपले और गोबर की लकड़ी या दान की है।