वैश्विक महामारी की वजह से जिले में लगाए गए कोरोना कर्फ्यू के चलते वाहन उपलब्ध ना हो पाने के कारण एक आदिवासी परिवार ने अपने इकलौते चिराग को खो दिया इतना ही नहीं मानवता तब शर्मसार हुई जब अपने बच्चे के शव को हाथ में लिए बेबस पिता लगभग 2 घंटे तक प्रशासनिक आमले के सामने बेटे के शव को घर ले जाने के लिए वाहन की राह देखता रहा ,तो वही पुलिस कर्मियों के सामने रोती बिलखती मां अपने बेटे की मौत पर बेबसी की आंसू बहाती रही ,
मामला छतरपुर के गुलगंज थाना अंतर्गत दिदवारा गांव के रहने वाले रामसहाय आदिवासी के परिवार का है जिनके बेटे को पीलिया की शिकायत थी माता-पिता उसे गुलगंज लेकर आए लेकिन वहां पर डॉक्टरों ने जिला अस्पताल ले जाने के लिए कहा ,गुलगंज में कोरोना कर्फ़्यू के चलते उन्हें कोई वाहन उपलब्ध नहीं हुआ और लगभग 1 घंटे से अधिक समय तक वो गुलगंज में ही अपनी गरीबी ओर बेबसी पर रोते रहे,गुलगंज के समीम खान नाम के एक युवक ने मानवता का परिचय दिखाते हुए पीड़ित माता-पिता को उनके बच्चे के साथ छतरपुर पहुंचाने का काम किया, जिला अस्पताल के पास छत्रसाल चौक पर उन्हें रोक दिया गया और उसके बाद माता पिता अपने मासूम बेटे को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे जहां डॉक्टरों ने उनके बेटे को मृत घोषित कर दिया ,और उसके बाद बेबस मां जहां रोती -बिलखती रही वही पिता अपने जिगर के टुकड़े को हाथों में लिए जिला अस्पताल के बाहर लगे पुलिस प्रशासन के सामने बेटे के शव को घर तक ले जाने के लिए वाहन की तलाश करता नजर आया ,2 घंटे तक जिला अस्पताल के सामने प्रशासनिक अमला तमाशबीन बने इस गरीब माता-पिता की बेबसी देखता रहा, मामला कलेक्टर के संज्ञान में पहुंचा कलेक्टर छतरपुर में नगरपालिका के माध्यम से शववाहन मुहैया करा करा आदिवासी दंपत्ति को उनके घर की ओर रवाना किया, इस पूरे घटनाक्रम को देख जहा गरीब आदिवासी दंपत्ति को अपनी बाइक से छतरपुर लाने वाला मददगार युवक भी इस माता-पिता की बेबसी पर रो पड़ा और उसका कहना था कि अगर गुलगंज में समय पर इन्हें वाहन मिल जाता तो हो सकता है की इनके बेटे की जान बच जाती, फिलहाल इस पूरे मामले में अधिकारी किसी भी बयानबाजी से बचते नजर आए
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