सागर-निमोनिया को हराओ, शिशु मृत्यु दर घटाओ! सागर में आईएमए का ‘जीवनदायी उत्सव, बचपन को दी नई सांस
सागर से बड़ी खबर निमोनिया को हराओ, शिशु मृत्यु दर घटाओ!” इसी मिशन के साथ आज सागर के खुरई में विश्व निमोनिया दिवस पर एक जीवनदायी अभियान शुरू हुआ। सीएचसी खुरई में आयोजित इस कार्यक्रम का आयोजन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) सागर और स्वास्थ्य विभाग सागर के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। यह आयोजन राष्ट्रीय निमोनिया उन्मूलन कार्यक्रम SAANS (साँस) के अंतर्गत हुआ, जिसका उद्देश्य है — बच्चों में निमोनिया की रोकथाम और शिशु मृत्यु दर (IMR) को घटाना। आईएमए के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. जगदीश माहेश्वरी ने बताया कि निमोनिया एक “रोके जाने योग्य बीमारी” है, लेकिन फिर भी यह दुनिया भर में 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत का सबसे बड़ा कारण बना हुआ है।
भारत में हर साल 1.27 लाख से अधिक बच्चे निमोनिया से अपनी जान गंवाते हैं — जबकि सही समय पर पहचान और इलाज से इन्हें बचाया जा सकता है। क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सागर, डॉ. नीना गिडियन ने चिंता जताई कि मध्यप्रदेश में आईएमआर अब भी राष्ट्रीय औसत से दोगुना है — प्रति 1,000 जीवित जन्म पर 43 शिशु मृत्यु, जबकि देश का औसत 25 है। मुख्य कारण — समयपूर्व जन्म, निमोनिया, सेप्सिस और कम वजन के शिशु। आईएमए सागर अध्यक्ष डॉ. तल्हा साद ने कहा कि राज्य में 15% आईएमआर कमी के लिए न्यूमोकोकल कंज्यूगेट वैक्सीन (PCV) अत्यंत प्रभावी है।
भारत सरकार इसे मुफ्त टीकाकरण के रूप में 9 और 14 हफ्ते तथा 9 माह की उम्र पर उपलब्ध करा रही है। इसके साथ स्तनपान, पोषण और स्वच्छता जैसी सरल आदतें भी बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करती हैं। उन्होंने बताया कि निमोनिया केवल बच्चों के लिए नहीं, बल्कि 65 वर्ष से अधिक बुजुर्गों के लिए भी घातक साबित होता है — इस आयु वर्ग में मृत्यु दर 30% से अधिक तक पहुंच सकती है। कार्यक्रम में डॉ. रोशी जैन, डॉ. अरविंद सराफ, डॉ. विश्वास सप्रे, और बड़ी संख्या में नर्सिंग स्टाफ, आशा कार्यकर्ता और आमजन शामिल रहे। खुरई के इस आयोजन ने एक स्पष्ट संदेश दिया —साँस अभियान से हर बच्चे को मिले नई ज़िंदगी की साँस।