सागर- महामंत्री बनने के बाद लता वानखेड़े ने दिया बड़ा संकेत, राठौर बंगले में भोज से गरमाई सियासत
बुधवार देर शाम सागर की राजनीति में नए समीकरण बनते दिखाई दिए। लंबे वक्त तक सत्ता का केंद्र और दशकों तक बीजेपी का एक मात्र ठिया रहा राठौर बंगला फिर सुर्खियों में आ गया। जी हां सागर संसदीय सीट से सांसद लता वानखेड़े हाल ही में बीजेपी में प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण पदों में से एक, प्रदेश महामंत्री बनाई गई। महामंत्री बनने के बाद बिना देरी किया उन्होने अपने पुराने राजनीतिक सहयोगीयो को अपने साथ जोड़ने की कवायद भी शुरू कर दी। जिसके तहत सबसे पहले वो परिवार सहित राठौर बंगला पहुँची।
दरसअल लता वानखेड़े के प्रदेश महामंत्री बनाये जाने के बाद उनके प्रथम आगमन पर जिले भर में जिस तरह से जगह जगह उनका भव्य स्वागत भी हुआ और जिसमे मंत्री गोविंद सिंह राजपूत जिले के विधायको, जनप्रतिनिधियों सहित सभी बीजेपी नेता स्वागत रैली में शामिल हुए। इससे साफ हो गया था कि लता वानखेड़े अब सागर की राजनीति में एक मजबूत खिलाड़ी बन गयी है।
वही दूसरी तरफ महामंत्री बनने के बाद लता वानखेड़े ने अपनी संगठन की नई राजनीति को लेकर साफ संदेश देने की कोशिश भी की। वो अपने पति गुड्डू वानखेड़े के साथ राठौर बंगला पहुँची, पूरे परिवार से उन्होंने आत्मीयता से मुलाकात की, रात्रि भोज सभी के साथ किया और अपनी राजनीति की शुरआत के दिनों को याद करते हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री और सागर में बीजेपी के सर्वमान्य और सर्वोसर्वा नेता रहे स्व हरनाम सिंह राठौर से जुड़े कई स्मरण साझा किए। उन्होंने बताया कि उनकी राजनीति राठौर बंगले से शुरू हुई और राठौर परिवार उनका परिवार है।
हालांकि इस मुलाकात के कई राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे । दरसअल सागर की राजनीति में भले ही स्व हरनाम सिंह राठौर के स्वागवास के बाद राठौर बंगले ने दख़ल कम कर दिया हो लेकिन जिले में उनका दबदबा बरकार है, राजनीति में वो आज भी बीजेपी के नेताओ की मजबूरी बने हुए है।
उनके पुत्र पूर्व विधायक हरवंश सिंह हाल ही में जिला अध्यक्ष के प्रवाल दावेदार थे, उसके पहले लोकसभा चुनाव और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भी उनका नाम लिया जा रहा था तीनो बार उन्होंने अपनी दावेदारी खुद ही बापस ली। उनके भाई कुलदीप सिंह राठौर अपने पिता की तरह सागर जिले की आठो विधानसभा पर अपनी नजर और पकड़ बनाये रहते है।
ऐसे में लता वानखेड़े जो अब सागर में एक नया सत्ता का केंद्र बन गयी है । उन्हें खुद को मजबूत करने के लिए राठौर बंगले का वो पुराना साथ फिर चाहिए जबकि राठौर बंगले को भी संगठन में धाक को बरकरार रखने के लिए उनका साथ, हालांकि आज की राजनीति नए चश्मे के साथ देखे तो लता वानखेड़े की सुलझी हुई राजनीति और राठौर परिवार की दबंगता, निष्ठा और ईमानदारी का ये मेल वाकई खास बन सकता है ।