महाकाल की पहली सवारी निकली धूमधाम से, चांदी की पालकी में मनमहेश स्वरूप दर्शन से गूंज उठा उज्जैन”
एमपी के उज्जैन नगरी आज एक बार फिर भक्ति और उत्साह के रंगों में रंगी नजर आई। कार्तिक मास की पहली सोमवार को भगवान महाकाल की प्रथम सवारी पूरे विधि-विधान और पारंपरिक श्रद्धा के साथ निकाली गई। भगवान महाकाल चांदी की पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकले और भक्तों को मनमहेश स्वरूप में दर्शन दिए। सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार, सावन और भादों की तरह कार्तिक और अगहन माह में भी महाकाल की सवारी निकाली जाती है। आज उसी परंपरा को निभाते हुए दोपहर बाद मंदिर परिसर में सवारी की तैयारियाँ शुरू हुईं। अपराह्न 4 बजे महाकाल मंदिर के सभा मंडप में पुजारी पंडित घनश्याम शर्मा ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर सवारी प्रारंभ की।
इस अवसर पर कलेक्टर रोशन सिंह और एसपी प्रदीप शर्मा भी उपस्थित रहे। सवारी रवाना होने से पहले मंदिर के मुख्य द्वार पर भगवान महाकाल को पुलिस द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इसके बाद बाबा महाकाल चांदी की पालकी में सवार होकर अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकले। भक्तों ने फूलों की वर्षा कर बाबा का स्वागत किया। सवारी गुदरी चौक, बक्षी बाजार, हरसिद्धि मंदिर मार्ग होते हुए रामघाट पहुंची, जहां क्षिप्रा नदी के पवित्र जल से भगवान का अभिषेक किया गया।
इसके पश्चात सवारी अपने पारंपरिक मार्ग से होते हुए पुनः महाकाल मंदिर लौटी। सवारी में घुड़सवार पुलिस दल, बैंड, भजन मंडलियां और हजारों की संख्या में श्रद्धालु भक्त शामिल रहे। हर ओर “हर हर महादेव” के जयकारों से पूरा उज्जैन गूंज उठा। पुजारी आशीष शर्मा ने बताया कि कार्तिक मास की यह सवारी आस्था, श्रद्धा और सनातन परंपरा का प्रतीक है। वहीं सीएसपी राहुल देशमुख ने बताया कि सवारी मार्ग पर सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए गए थे। उज्जैन की गलियों में गूंज उठा “जय महाकाल” — भक्त हुए भावविभोर, जब बाबा महाकाल ने मनमहेश स्वरूप में नगर भ्रमण कर दिया दर्शन।