नए साल में रानगिर में पहुंचे हजारो श्रद्धालु, 3 रूप में दर्शन देती है माता
कोरोना संक्रमण में नए साल को लोग अपने अपने ढंग से मनाते हैं ऐसे ही हजारों श्रद्धालु सागर जिले के प्रसिद्ध तीर्थ क्षेत्र रानगिर पहुंचे। जहां पर श्रद्धालुओं ने माता हरसिद्धि की पूजा अर्चना की साथ ही माता रानी से प्रार्थना की कि आने वाले साल में अब उन्हें खुशियां मिले। सुबह से ही दिन भर रानगिर में श्रद्धालुओं के आने जाने का सिलसिला बना रहा। हालांकि यहां पर कोरोना गाइडलाईन का जरा भी पालन होते नहीं दिखा। मंदिर के पुजारी ने कहा प्रशासन ने इसके इंतजाम किये है। एक किवदंति प्रचलित है कि यह मंदिर पहले रानगिर में नहीं था नदी के उस पार देवी जी रहती थीं। माता, कन्याओं के साथ खेलने के लिए आया करती थीं। एक दिन गांव के लोगों ने देखा कि यह कन्या सुबह खेलने आती है और शाम को कन्याओं को एक चांदी का सिक्का देकर बूढ़ी रानगिर को चली जाती हैं। उसी दिन हरसिद्धि माता ने सपना दिया कि मैं हरसिद्धि माता हूं, बूढ़ी रानगिर में रहती हूं। यदि बूढ़ी रानगिर से रानगिर में ले जाया जाए तो रानगिर हमारा नया स्थान होगा। रानगिर में बेल वृक्ष के नीचे हरसिद्धि मां की प्रतिमा मिली। लोग बेल की सिंहासन पर बैठाकर उन्हें सायंकाल रानगिर लाए। दूसरे दिन लोगों ने उठाने का प्रयास किया कि आगे की ओर ले जाया जाए, लेकिन देवी जी की मूर्ति को हिला नहीं सके। ऐसी मान्यता है कि माता के सुबह दर्शन करो तो कन्या रूप में दर्शन होते हैं। दोपहर में युवा अवस्था तथा शाम को वृद्धावस्था में दर्शन देती हैं।