क्या एक नेता की राजनीतिक चमक उसके परिवार की खुशियों को निगल सकती है बीजेपी की फायरब्रांड नेता उमा भारती के हालिया सोशल मीडिया एक्स पर किये गए एक पोस्ट ने इसी सवाल को हवा दे दी है। अपने शब्दों में उन्होंने न सिर्फ अपने जीवन का दर्द बयां किया बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से पार्टी पर भी तंज कसते हुए कहा कि उनके परिवार ने उनकी राजनीति की भारी कीमत चुकाई है।
दरअसल बीजेपी की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने X पर लिखा कि बीजेपी में होने की कीमत उनके परिवार ने चुकाई है। उनके मुताबिक अगर पार्टी उन्हें चुनाव नहीं लड़वाती तो उनके भाई या भतीजे बहुत पहले सांसद या विधायक बन जाते। उन्होंने साफ कहा कि उनके भतीजे राहुल लोधी को टिकट देना पार्टी की मजबूरी थी एहसान नहीं। साथ ही उमा ने लिखा कि उनके परिवार पर झूठे आरोप लगे लूट-डकैती के केस हुए लेकिन कोर्ट ने उन्हें हमेशा निर्दोष पाया।
उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की छवि बचाने के लिए उनके परिवार ने अपने सपनों की कुर्बानी दी।
इसी ट्वीट को लेकर उमा भारती एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने अपने ट्वीट से न सिर्फ अपने पारिवारिक संघर्षों का ज़िक्र किया बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से पार्टी पर भी तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि बीजेपी में उनके सक्रिय राजनीति में रहने का सबसे बड़ा नुकसान उनके परिवार को झेलना पड़ा।
उन्होंने ट्वीट में लिखा मेरे भाइयों की संतानें मेरी छवि के कारण आगे नहीं बढ़ पाईं। जितनी योग्यता उनमें थी उतना वे तरक्की नहीं कर सके। भाजपा ने मुझे चुनाव में उतारना जरूरी समझा लेकिन इसी फैसले की वजह से मेरे परिवार को पीछे रहना पड़ा।
उमा भारती ने अपने ट्वीट में यह भी आरोप लगाया कि उनके परिवार पर झूठे आरोप लगे उन पर लूट और डकैती जैसे मामले दर्ज किए गए जबकि कोर्ट में वे हमेशा निर्दोष साबित हुए। उन्होंने यह दर्द भी साझा किया कि चाहे सरकार कांग्रेस की रही हो या भाजपा की उनके परिवार को बार-बार दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
उमा ने अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी राजमाता विजयाराजे सिंधिया और संघ के वरिष्ठ नेताओं से अपने रिश्तों का जिक्र करते हुए कहा कि वह हमेशा पार्टी के लिए समर्पित रहीं लेकिन उनका परिवार इसकी कीमत चुकाता रहा।
उन्होंने एक और भावुक पहलू पर बात करते हुए लिखा कि उन्होंने अपने भतीजे और भतीजी की जिम्मेदारी उठाई थी। अब उन्होंने अपने तीसरे नंबर के भाई को बच्चों की जिम्मेदारी सौंप दी है। उमा ने लिखा मैं आत्मग्लानि और अपराधबोध से पीड़ित हूं लेकिन मुझे लगता है कि बच्चों के हित में यह जरूरी था कि उन्हें एक संपूर्ण परिवार का साथ मिले।
उमा भारती अक्सर अपनी ही पार्टी की नीतियों पर सवाल उठाने के लिए जानी जाती हैं। चाहे वो शराबबंदी हो गोवंश संरक्षण हो या अवैध खनन का मुद्दा। वे पहले भी राज्य सरकार और पार्टी नेताओं को खुलकर कटघरे में खड़ा करती रही हैं।
लेकिन इस बार उनका दर्द निजी था। उन्होंने जिस तरह पार्टी के भीतर की राजनीति परिवार की उपेक्षा और व्यक्तिगत आत्मग्लानि को एक साथ जोड़ा उससे साफ झलकता है कि वह पार्टी से भावनात्मक दूरी महसूस कर रही हैं।
लेकिन अब इस ट्वीट ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है, क्या उमा भारती पार्टी से नाराज़ हैं और क्या अब वह बीजेपी से कोई बड़ा कदम उठा सकती हैं फिलहाल इस पर पार्टी की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन उमा का यह बयान ज़रूर सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।






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