Sagar- इंजीनियर की नौकरी छोड़ बने प्रोफेसर... पिता के सामने अपमान ने बदली जिंदगी
सागर की डॉ हरिसिंह गौर सेंट्रल यूनिवर्सिटी में इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव की अब तक 64 किताबें पब्लिश हो चुकी हैं 120 रिसर्च पेपर छप चुके हैं. उनके अंडर में 17 बच्चों ने पीएचडी की है. उनके कई पीएचडी छात्र दिल्ली, भठिंडा और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में अब असिस्टेंट प्रोफेसर बन गए हैं. करीब आधा दर्जन बच्चों ने MPPSC परीक्षा पास की है. वह अब तक सागर यूनिवर्सिटी में 27 साल की सेवा दे चुके हैं लेकिन इस सबके पीछे कुलपति द्वारा किया गया अपमान, पिता द्वारा दी गई सीख और रिसर्च में पत्नी डॉ माधवी श्रीवास्तव द्वारा दिखाया गया रास्ता और फिर प्रोफेसर साहब द्वारा की जा रही अथक मेहनत लगन और परिश्रम है.
खास बात यह है कि इतिहास विषय में देशभर में नाम कमाने वाले डॉक्टर ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी. उनके पिता आरबी श्रीवास्तव डिप्टी कलेक्टर थे. वह चाहते थे कि बेटा भी कलेक्टर बने, इसलिए IAS की तैयारी करें. उन्होंने इंजीनियर की नौकरी छोड़ी. पॉलिटेक्निक कॉलेज में लेक्चरर की नौकरी छोड़ी और कलेक्टर बनने के लिए हिस्ट्री सब्जेक्ट लिया, लेकिन फिर इसमें उनकी ऐसी रुचि जागी कि जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर से टॉप किया. पढ़ाई का शौक था सो पहले ही इंटरव्यू में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में जॉब लग लग गई.
बीके श्रीवास्तव द्वारा सागर बुंदेलखंड के इतिहास पर खूब काम किया गया है. उनकी किताब में शामिल कई प्रश्न एमपीपीएससी और यूपीएससी की परीक्षाओं में पूछे जा चुके हैं. बिहार में एमए में उनकी किताबें चलती हैं, जो खूब पॉपुलर हैं. प्रोफेसर श्रीवास्तव को दीवान प्रतिपाल सिंह बुंदेला स्मृति सम्मान 2020, इतिहासवेत्ता सम्मान 2021, स्वामी विवेकानंद सारस्वत सम्मान 2024 और लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड 2025 से सम्मानित किया जा चुका है. वर्तमान में वह मध्य प्रदेश इतिहास परिषद के अध्यक्ष हैं