आखिर क्यों टूटीं चार बेटियों की ज़िंदगियाँ ? जानिए इन सच्ची घटनाओं की वजह!
दहेज ने चार बेटियों की जिंदगियां छीन ली जी हाँ ये कहानी उन चार बेटियों की है जिनका आपस में कोई संबंध नहीं है लेकिन चारो के साथ जो हुआ वो एक जैसा ही है। जहाँ शादी के बाद ससुराल में दहेज़ की कीमत बेटियों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। इन सभी मामलों में परिजनों ने ससुराल वालों पर दहेज हत्या का आरोप लगाया है।
पहला मामला- औरंगाबाद से सामने आया। जहां जूली गुप्ता की लाश उसके ससुराल में आंगन में पड़ी मिली। मिली जानकारी के मुताबिक जूली ने सुबह ही पिता से जान का खतरा जताया था। कुछ घंटे बाद ही उसकी मौत हो गई। मृतका के मायके वालों ने बताया की ससुराल वालो ने कार की मांग की थी नहीं देने पर उसकी हत्या कर दी।
ऐसे ही नवादा के वारिसलीगंज में 22 साल की मुस्कान की संदिग्ध हालत में मौत हो गई। पिता का आरोप है कि शादी के छह महीने बाद 5 लाख की मांग शुरू हुई। जब रकम नहीं मिली, तो बेटी की हत्या कर दी। पति और तीन ननदों सहित 5 पर हत्या का केस दर्ज हुआ है।
तीसरी घटना भोजपुर की है। जहां मुफस्सिल इलाके में शादी के सिर्फ 31 दिन बाद रूबी की मौत हो गई। गले पर वी-आकार का काला निशान मिला। मायके वालों ने कहा कि ससुराल वाले बुलेट और 5 लाख कैश मांग रहे थे। जब मना किया, तो बेटी की जान ले ली।
वहीं, कोईलवर में सीता देवी, जिसने पांच साल पहले प्रेम विवाह किया था, उसकी भी संदिग्ध मौत हो गई। यहाँ भी मायके पक्ष का कहना है कि बुलेट बाइक और कैश नहीं मिलने पर सीता की हत्या कर दी गई।
चारों मामलों में एक जैसी कहानी है—शादी, फिर दहेज की डिमांड और आख़िरकार बेटी की मौत। इन घटनाओं ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या बेटियाँ अब भी शादी के बाद सुरक्षित हैं? क्या दहेज के खिलाफ कानून बस कागज़ों तक सीमित रह गया है? खैर जो भी हो इन चार घटनाओ ने समाज को झंझोर दिया है।