क्या ये अंधेर नहीं देर से आना होना अब तो मुमकिन नहीं बीमार का अच्छा होना ! || SAGAR TV NEWS ||
क्या ये अंधेर नहीं देर से आना होना अब तो मुमकिन नहीं बीमार का अच्छा होना, वक़्त लगता है पहाड़ों से निकलने में मिज़ाज इतना आसान नहीं बूँद से दरिया होना। ये शायरी सागर जिले के गढ़ाकोटा में आयोजित मुशायरे में जाने माने शायर अशोक मिज़ाज ने कहकर समां बांधा तो इसके अलावा रिजवान अहमद ने दिया जलाकर सब बाम-ओ-दर में रखते हैं। एक हम हैं जो उसे रहगुजर में रखते हैं। समुंदरों को भी मालूम है हमारा मिज़ाज ,हम तो पहला कदम भी भंवर में रखते हैं। पढ़कर वाहवाही लूटी इसके अलावा उन्होंने कहा की खिजा की रुत में भी ताजा गुलाब छोड़े हुए में आ गया पलकों पर ख्वाब छोड़े हुए, बहुत दिनों से कोई सच नहीं कहा मैनें ज़माना हो गया मुझे शराब छोड़े हुए। दरअसल गढ़ाकोटा में नवनिर्मित नटराज ऑडोटोरियम में लगातार कार्यक्रम हो रहे हैं। जिसके तहत मुशायरे का आयोजन किया गया था। जहाँ और भी शायरों ने अपने नज्म,गजल और शायरियों से महफ़िल को खुशनुमा कर दिया। कार्यक्रम को लेकर दीपू भार्गव ने जानकारी दी।